वहीं फार्म हाउस, एम्युजमेंट पार्क, रिसोर्ट निर्माण को नियमों में बांधा है। जलाशयों को बचाने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात कि पहाड़ों की श्रेणी के निर्धारण के लिए संबंधित स्थानीय निकायों को भारत सरकार की स्टेट रिमोट सेंसिंग एजेन्सी या उसके समकक्ष तकनीकी संस्था का सहयोग लेने के लिए पाबंद किया है। यह एजेन्सी ही तय करेगी कि कौनसे पहाड़ पर निर्माण होगा? कितना होगा और कौनसे पूर्णत: निर्माण निषेध क्षेत्र होंगे।
राजस्थान सरकार ने जलस्त्रोत बचाने के लिए कदम उठाए हैं। नदी-नालों व बावड़ी से निर्माण की दूरी तय की है।
हर श्रेणी के पहाड़ पर निर्माण का दायरा तय
- * ए श्रेणी के पहाड़ पर 8 डिग्री तक मास्टर प्लान व प्रचलित नियम के अनुसार भवन निर्माण होंगे।
- * बी श्रेणी के पहाड़ों पर गतिविधियां रोकी हैं। इसमें आवासीय कॉलोनियां नहीं बनेगी। फार्म हाउस, एम्युजमेंट पार्क, रिसोर्ट आदि के लिए भूखंड का न्यूनतम क्षेत्रफल तय किया है और उस पर महज 10 या 20 प्रतिशत निर्माण की ही स्वीकृति होगा। भवनों की अधिकतम ऊंचाई 9 मीटर तय की गई है।
- * पहाड़ों पर बेसमेंट पर पूरी तरह रोक लगाई है।
- * 40 प्रतिशत क्षेत्र में पेड़ लगाने की पाबंदी तय की है।
राजस्थान पत्रिका ने चला रखा है अभियान
अरावली को बचाने के लिए पत्रिका ने ‘ऐसे तो खत्म हो जाएगी अरावली’ मुहिम चला रखी है। मुहिम के बाद हाइकोर्ट ने पहाड़ों के निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी। गौरतलब है कि भूमाफिया ने पहाड़ों को छलनी कर आवासीय कॉलोनियां काट दी। खबरों के बाद झील संरक्षण समिति ने हाइकोर्ट में अवमानना का वाद दायर किया था। न्यायालय ने सुनवाई के बाद पहाड़ों पर हो रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के साथ ही सरकार को नई पॉलिसी जारी करने के आदेश दिए थे।