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उदयपुर के ये शख्स हैं रेडियो के दीवाने, दीवानगी ऐसी कि 250 से अधिक रेडियो का कलेक्शन

आवाज की दुनिया के दोस्तों … ये आकाशवाणी का उदयपुर केंद्र है और आप सुन रहे हैं विविध भारती… ये चंद लाइनें सुनते ही आपको याद आ गया होगा रेडियो का वो जमाना। जब घरों में टीवी नहीं हुआ करते थे तो लोग रेडियो पर ही समाचार, फिल्मी गीत और अन्य कार्यक्रम सुनकर मनोरंजन करते थे।

उदयपुरFeb 13, 2024 / 11:05 pm

madhulika singh

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काफी दशकों तक रेडियो ने लोगों के दिलों पर राज किया। रेडियो से ना केवल एक रिश्ता जुड़ा था बल्कि लोगों के जज्बात भी जुड़े थे। इस पर आने वाले कार्यक्रमों जैसे बिनाका गीतमाला, फौजी भाइयों के लिए जयमाला आदि का बेसब्री से इंतजार होता था और पोस्टकार्ड लिखकर फरमाइशें भेजी जाती थी। जैसे-जैसे नई तकनीक आती गई, वैसे-वैसे रेडियो का रूप बदल गया। आज एफएम के रूप में रेडियो लोगों के सामने है, लेकिन आज भी कई ऐसे लोग हैं, जो आकाशवाणी को ही सुनना पसंद करते हैं। उदयपुर में भी रेडियो श्रोता संघ के ग्रुप्स बने हुए हैं। जिनमें कई लोग ऐसे हैं, जो सालों से रेडियो सुनते आ रहे हैं और आज भी उनकी सुबह और रात रेडियो सुने बिना नहीं होती है …
रेडियो के प्रति प्रेम ऐसा कि 250 से अधिक रेडियो का कलेक्शन

शहर के अशोक नगर क्षेत्र में Òरेडियो के जादूगरÓ के नाम से पहचान रखने वाले भूपेन्द्र मल्हारा की रेडियो की प्रति दीवानगी गजब है। 25 वर्षों से अधिक समय से विभिन्न प्रकार के 200 से अधिक रेडियो का कलेक्शन इनके पास उपलब्ध हैं। उनका कहना है कि संगीत एक थैरेपी है, जिससे व्यक्ति को तनाव से मुक्ति मिलती है और वह स्वस्थ और आनंद में रहता है। भूपेन्द्र मल्हारा बताते हैं कि उनके संग्रह में सबसे छोटा रेडियो 3 गुणा 2 इंच का है। वहीं सबसे बड़ा रेडियो 4 फीट ऊंचा, 4 फीट लंबा और डेढ फीट चौड़ा है। मल्हारा के अनुसार ज्यादातर रेडियो वैक्यूम ट्यूब के हैं, जो गर्म होने के बाद चलते हैं। कई रेडियो स्टेशन बंद हो जाने की वजह से नए रेडियो में एफएम सिस्टम आने लगे हैं। भूपेन्द्र का पूरा परिवार रेडियो का शौकीन है और वे खुद लेकसिटी रेडियो श्रोता संघ के सदस्य हैं।
नहीं बदली रेडियो के प्रति दीवानगी

आकाशवाणी उदयपुर में 40 वर्षों तक सेवाएं देने वाले वरिष्ठ उद्घोषक राजेंद्र सेन बताते हैं कि समय के साथ कई चीजें बदल गई, लेकिन जो चीज नहीं बदली वो है रेडियो सुनने के प्रति दीवानगी। जो पोस्टकार्ड और चिट्ठियां पहले आया करती थीं, उन्हें पढ़ते-पढ़ते कई बार भावुक हो जाते थे, लोगों का इतना प्यार देखकर। आज भी लोग मैसेज करके अपना प्यार व सम्मान दर्शाते हैं। वे बताते हैं कि सेवानिवृत्त हुए उन्हें 5 वर्ष हो चुके, लेकिन आज भी रेडियो के हर कार्यक्रम से वे जुड़े हैं। आज भी वही रिश्ता, प्यार व जज्बात कायम है।
रेडियो के साथ सुबह और रात

लेकसिटी रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष परमानंद कुमावत और सचिव नरोत्तम गौड़ ने बताया कि रेडियो का शौक उन्हें बचपन से रहा है, तब से लेकर आज तक रेडियो सुनते आ रहे हैं। सुबह की शुरुआत रेडियो से और रात भी रेडियो पर खत्म होती है। रेडियो पर फरमाइश भी भेजते हैं और अपनी मनपसंद के गीत सुनते हैं। रेडियो श्रोताओं का एक ग्रुप बना हुआ है, उसका नाम “लेकसिटी रेडियो श्रोता संघ” रखा हुआ है। इस ग्रुप में अभी 60 से ज्यादा मेंबर्स है, सभी मेंबर्स सीनियर सिटीजन हैं और सभी रोज रेडियो पर फरमाइश भेजते हैं। सभी का 40-50 सालों से अधिक समय से रेडियो से जुड़ाव रहा है।
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