27 हजार 500 रुपए मासिक पर ठेकेदार को प्रत्येक जीएसएस पर चार कार्मिक नियुक्त करने हैं। प्रति दिन तीन शिफ्ट में एक-एक कार्मिक और एक रिलीवर होना चाहिए। कार्मिकों का वेतन, जीएसएस का रखरखाव, कार्मिकों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवाना, कार्मिकों का बीमा, पीएफ, ईएसआई में नाम दर्ज करना उसका दायित्व है। इन नियमों को ताक पर रखकर जीएसएस संचालित किए जा रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि ठेकेदारों की इस कारस्तानी के बारे में निगम के अधिकारियों को जानकारी नहीं। अधिकारियों और कार्मिकों ने बताया कि निगम में गिनती के कर्मचारी बचे हैं। ऐसे में ठेके पर दिए गए जीएसएस को लेकर सख्ती की जाती है, तो इन्हें चलाना भारी पड़ेगा।
ठेका उठाने की होड़ में ठेकेदार कम राशि भर देते हैं। ऐसे में इस राशि में डिग्रीधारी कर्मचारियों की भर्ती एवं अन्य व्यवस्थाएं करना मुश्किल होता है। निगम के लाभ को देखते हुए बड़े अधिकारी भी इस व्यवस्था को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
पत्रिका टीम ने जब पूछताछ की तो पता चला कि इन कार्मिकों को नियुक्ति पत्र नहीं देने के पीछे ठेकेदार की मंशा कुछ और है। हादसा होने की स्थिति में ठेकेदार घायल और मृतक कर्मचारी को अपना मानने से इनकार कर देते हैं। इससे पूर्व भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।
जीएसएस संभालने के लिए ठेकेदार सब कॉन्ट्रेक्ट कर देता है। इसके तहत दस से लेकर पंद्रह हजार प्रतिमाह बांध दिए जाते हैं। इस स्थिति में ऐसे व्यक्ति ही जीएसएस संभालते हैं तो कम पढ़े-लिखे हैं और बिजली के बारे में थोड़ा-बहुत जानते हैं।