एमपीयूएटी ने ऐसी तकनीक विकसित की जिसमें बगैर किसी नुकसान के कम समय में अधिक गूदा प्राप्त हो सकता है। इससे न तो गूदा खराब होता और न ही उसका रंग बदलता है। मशीन प्रतिदिन 500 से 600 किलोग्राम गूदा निकालती है जबकि एक इंसान एक दिन में 4 किलोग्राम गूदा ही निकाल सकता है।
सीताफल के गूदे की बाजार में काफी मांग है। प्रसंस्करित गूदे से तैयार कस्टर्ड पाउडर से आइसक्रीम, शरबत, जैम, रबड़ी, शेक आदि बनाए जाते हैं। बीजों व छिलके का भी दवा के रूप में उपयोग होता है।
हमारी तकनीक कई स्टेट में कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा के अनुसार उद्यानिकी विभाग के प्रोफेसर आर.ए.कौशिक व सहायक प्रोफेसर डॉ. सुनील पारीक के नेतृत्व में यह तकनीक विकसित की गई। इसका परिणाम है कि प्रदेश में पाली, पिंडवाड़ा, कुंभलगढ़ सहित करीब दस स्थानों पर और देश में कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात में कस्टर्ड पल्प यूनिट स्थापित कर दिए गए हैं।