उदयपुर 33वें नम्बर पर संस्थागत प्रसव में उदयपुर जिले के हालात खराब है। इसमें उदयपुर की पूरे राजस्थान में 33वीें रैंक है। गत वर्ष की मुकाबले भी 12 प्रतिशत कम संस्थागत प्रसव पिछले अगस्त माह तक हुए हैं।यहां इस तरह हालात जिले के सायरा क्षेत्र के माजवड़ा गांव में गत तीन दशक से भीखी बाई ही प्रसव करवा रही है, जिसने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया। कई साल पहले उनके श्वसुर ने उन्हें यह काम सिखाया था। ये कहानी तो जिले में एक बानगी भर है। ऐसे कई गांव व ढाणियां है, जहां इससे भी बदतर स्थिति है। इस गांव का मुख्य मार्ग पथरीला है। गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है।ये सुविधाएं हैं सरकार कीसरकार की जननी सुरक्षा योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए 1400 रुपये और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए 1000 रुपये का प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। इस योजना को शुरू करने का उद्देश्य संस्थागत प्रसव बढ़ाना, गर्भवती महिलाओं का जीवन सुरक्षित करना, हर प्रकार की जांच और उपचार नि:शुल्क, महंगे परिवहन से राहत दिलाना है।जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत 30 दिनों तक बीमार नवजात शिशु के लिए लाभ, नि:शुल्क और शून्य व्यय उपचार, नि:शुल्क दवाएं सहित कई सुविधाएं हैं।
देंगे प्रशिक्षण आरसीएचओ डॉ ताराचंद गुप्ता ने बताया कि हम जल्द ही भीखी बाई को प्रशिक्षण देकर दाई के रूप में तैयार करेंगे, ताकि एन वक्त पर किसी भी प्रकार की परेशानी गर्भवती महिला को नहीं हो।
READ MORE : मुख्यालय से आया फरमान सुनकर पुलिसकर्मियों की उड़ गई नींद… संस्थागत प्रसव को लेकर सचेत हैं। अधिकाधिक लोगों को जागरुक किया जाता है। अगर कोई अप्रशिक्षित प्रसव करा रहा है तो इससे जच्चा व बच्चा की जान को खतरा रहता है। कोशिश करेंगे कि अधिकाधिक दाइयों को प्रशिक्षित करें।
डॉ दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ उदयपुर