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उदयपुर

ब्रेन डेथ होने पर दुनिया छोड़ गए पर नहीं दे पाए दूसरों को नई जिन्दगियां, काउंसलिंग भी बेअसर

ब्रेन डेथ होने पर दुनिया छोड़ गए पर नहीं दे पाए दूसरों को नई जिन्दगियां, काउंसलिंग भी बेअसर

उदयपुरAug 18, 2021 / 10:00 am

Mohammed illiyas

One death due to corona infection, 80 dead

One death due to corona infection, 80 dead

मोहम्मद इलियास/उदयपुर
कोरोना की महामारी रही हो या फिर कोई मजबूरी जो भी यहां एमबी चिकित्सालय में एक साल पहले ऑर्गन ट्रांसप्लांट की यूनिट तैयार हो गई लेकिन एक भी डोनर नहीं मिला। मेडिकल टीम आईसीयू में ब्रेन डेथ के मरीजों के परिजनों की काउंसलिंग भी की लेकिन अभी सफलता नहीं मिली जबकि ब्रेन डेथ मरीज सिर्फ जीवन रक्षक उपकरणों पर जीवित रहा उसके बे्रन डेथ के बाद परिजन उसका शव ही ले गए थे।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज में 159 करोड़ लागत से तैयार हुई पीएम सुपर स्पेशियलिटी विंग में ऑर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट मिलने के बाद अब तक डोनर की तलाश की जा रही है। इसके लिए एमबी चिकित्सालय में विशेषज्ञ काउंसर की टीम भी लगा रखी है। पूरे वर्ष कोरोना की महामारी के चलते लोग उससे जूझते रहे इसी कारण इस काम में सफलता भी नहीं मिल पाई। गौरतलब है कि बे्रथ डेथ होने के बाद गठित कमेटी एक सर्टिफिकेट देकर बे्रन डेथ घोषित करती है। वह मरीज सिर्फ जीवन रक्षक उपकरण जिंदा रहता है लेकिन ऐसे हालत में अपनी आंख, लीवर किडनी, हृदय, फेफड़े व स्कीन देकर कई जिंदगियां बचा सकता है। एक आंकड़े के अनुसार भारत में प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध अंगों की कमी के कारण प्रतिदिन 17 लोगों की मृत्यु हो जाती है। हर वर्र्ष 3500 अंग प्रत्यर्पण सिर्फ गुर्दे,हृदय व लीवर के होते है और दूसरे अंगों की कमी के कारण प्रतिवर्ष 1 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो जाती है।

कोरोना रहा था हावी
सुपर स्पेशियलिटी बनकर तैयार होने के बावजूद कोरोना इतना हावी रहा कि चिकित्सक व उनकी पूरी टीम इसी काम में लगी रही। दुर्घटना मेेें कई बे्रन डेथ के मरीज सामने आए लेकिन काउंसलिंग के बाद कोरोना जांच व अन्य प्रक्रिया के चलते किसी भी ब्रेन डेथ के परिजनों ने इसमें रूचि नहीं दिखाई। —

राजस्थान में अब तक इतनों ने किए अंगदान
किडनी-77
लीवर-37
हार्ट- 22
फेफड़े-4
पेनक्रियांज-1
छोटी आंत-0
कुल – 141

आंख- 12
हार्ट वाल्व-2
स्कीन-0
कुल – 14

ऑगर्न ट्रांसप्लांट के लिए ब्रेन डेथ वाले मरीजों के परिजनों से काउंसलिंग भी की लेकिन कोई डोनर नहीं मिला।
डॉ. लाखन पोसवाल, प्राचार्य आरएनटी मेडिकल कॉलेज

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