नवंबर में पहली बार छलका जाखम बांध, एक सेंटीमीटर की चली चादर
किसानों की संजीवनी के नाम से प्रसिद्ध है जाखम बांध
नवंबर में पहली बार छलका जाखम बांध, एक सेंटीमीटर की चली चादर
धरियावद (उदयपुर). तहसील क्षेत्र के काश्तकारों एवं किसानों के बीच संजीवनी के नाम से मशहूर प्रतापगढ़ जिले का 31 मीटर भराव क्षमता वाला जाखम बांध सोमवार को छलक गया। संभवतया यह मावठ का असर है जिसका पानी धीरे-धीरे एकत्र होने के बाद बांध छलक गया। सोमवार सुबह बांध पर 1 सेंटीमीटर की चादर चल रही थी। मानसून के खत्म होने के बाद नवम्बर माह के अंतिम दिनों में बांध छलका है। एेसा बांध बनने के बाद पहली बार हुआ है।
जाखम बांध परियोजना के अधिशासी अभियंता भगवान सिंह के निर्देश पर संबंधित अधिकारियों ने बांध स्थल का अवलोकन किया तथा मौजूद कर्मिकों को सुरक्षा संबंधित निर्देश दिए। इधर बांध छलकने पर चादर तहसील क्षेत्र के काश्तकारों किसानों आमजनों से लेकर व्यापारियों ने खुशी जताई। गौरतलब हैं कि जाखम बांध से इस माह की 12 नवम्बर को बांध से नहरों के लिए पानी छोड़ा गया था लेकिन गत दिनों 18 नवम्बर को मावठ की बरसात के चलते काश्तकारों मांग पर पानी रोक दिया गया था जो फिलहाल दो से चार दिन में शुरू होने की संभावना हैं।
इन इन वर्षों में छलका बांध
सिचाई विभाग से प्राप्त आंकडों के अनुसार 1986 से लेकर वर्ष 2021 के आंकडों पर नजर डाले तो जॉखम बांंध अब इन वर्षो में 1986, 88, 89, 90, 91, 93, 94, 96, 2001,2004, 06, 11, 12, 13, 15, 16, 17, 18, 19 , 2020 तथा 2021 में छलक पडा।
२८ हजार हैक्टेयर में सिंचाई
जांखम बांध के पानी से तहसील क्षेत्र की करीबन 28 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सिचाई होती हैं। जहां रबी फसल के लिए करीबन 16 हजार 708 हैक्टर क्षेत्र में पानी दिया जाता हैं।
तीन जिलों के बीच अभयारण्य की गोद में बना बांध
जाखम बांध तीन जिलों चित्तौडग़ढ़, उदयपुर एवं प्रतापगढ़ की सीमा में होकर सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य के बीच बना है। जाखम बांध अपनी अनुपम प्राकृतिक छटा के लिए प्रसिद्ध हैं। बांध पर किसी प्रकार का गेट नही होने से रपट से ही पानी छलकता है।
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