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उदयपुर

सावन में ठाकुरजी के मंदिरों में हो रहे हिंडोरना मनोरथ, कभी साग-सूखे मेवे का तो कभी कांच-सुरंगी का शृंगार

श्रावण कृष्ण पक्ष एकम से शुरू हुआ कृष्ण मंदिरों में विशेष हिंडोरना मनोरथ, मनोरथी के अनुसार होता है हिंडोरना शृंगार

उदयपुरJul 25, 2024 / 10:56 pm

madhulika singh

jagdish mandir

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श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से जहां एक ओर शिवालयों में भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक, रूद्राभिषेक होते हैं, वहीं, ठाकुरजी के मंदिरों में हिंडोलने के मनोरथ शुरू होते हैं। ये मनोरथ कृष्ण की प्रौढ़ लीलाओं पर होते हैं। इसके तहत शहर के प्रमुख जगदीश मंदिर, विट्ठलनाथ मंदिर में हिंडोरना मनोरथ शुरू हुए हैं। इसमें हर दिन विविध सामग्रियों से नित नए शृंगार किए जाते हैं और भक्त दर्शनों के लिए आते हैं।

22 अगस्त तक चलेंगे हिंडोरना मनोरथ

कोलपोल स्थित प्राचीन विट्ठलनाथ मंदिर में श्रावण कृष्ण एकम से हिंडोरा (झूला) मनोरथ प्रारम्भ हो गए, जो 22 अगस्त तक चलेंगे। पूरे मास प्रभु को विविध हिंडोरा जैसे सुरंगी हिंडोरा ,चन्दन पत्ती का हिंडोरा ,कांच का हिंडोरा ,फूल पत्ती का हिंडोरा आदि कई अद्भुत मनोरथ द्वारा लाड़ लड़ाए जाएंगे। मंदिर के सेवक मोहित मेहता ने बताया कि सावन में दो तरह के हिंडोरना होता है। इसमें एक नित्य हिंडोरना, जिसमें ठाकुरजी झूलते हैं और दूसरा हिंडोरना जो शयन का होता है, वो मनोरथ का होता है। इससे मनोरथी अपने मनोरथ पूर्ण करते हैं। इसमें मनोरथी के अनुसार अलग-अलग सामग्री विशेष आती है, उसी से हिंडोरना मनोरथ किया जाता है। इस मौके पर हवेली संगीत में अलग-अलग प्रकार के कीर्तनों में लीलाओं का वर्णन होता है, जैसे हिंडोरा रोपयो, यमुनाजी के तट पर… ब्रज सखियां झुलावत वन में…जैसे गीत गाए जाते हैं।
surangi shringar

भक्त या मनोरथी मंदिर में करवा सकते हैं हिंडोरना मनोरथ

इसी तरह जगदीश मंदिर में भी नित नए और मनोहर झूले बन रहे हैं। विनोद पुजारी ने बताया कि इसमें भक्तों के मनोरथ के अनुसार व विशेष पर्व व त्योहार के अनुसार भी शृंगार किया जाता है। जैसे हरियाली तीज पर हरा शृंगार किया जाता है, वहीं सावन के अनुसार लहरिया शृंगार व अन्य शृंगार किए जाते हैं। बुधवार का लहरिया तीज उत्सव मनाया गया, जिसमें लाल व सफेद लहरिये से झूले का शृंगार हुआ। इतिहासकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू के अनुसार, सावन में वैष्णव मंदिरों में हिंडोले में लड्डू गोपाल के विग्रह को झूला देने के लिए श्रद्धा उमड़पड़ती है। सावन के कजरारे पक्ष से ही हिंडोले शुरू होते हैं। श्रीनाथजी के मंदिर में तो हिंडोल विजय होने तक नित्य उत्सव होते हैं। अनेक हिंडोला कीर्तन राग मेघ, मल्हार, हिंदोल आदि रागिनियों में गाए जाते हैं। हिंडोरना मनोरथ करवाने के लिए मंदिर में ही संपर्क कर कोई भी भक्त या मनोरथी हिंडोरना मनोरथ करवा सकते हैं।

इस तरह के शृंगार के होते हैं हिंडोरना –

– फल-फूल का हिंडोरा

– सूखे मेवे का हिंडोरा

– कांच का हिंडोरा

– चंदन पत्ती का हिंडोरा

– फूल पत्ती का हिंडोरा
– गिरिराजजी का हिंडोरा

– यमुना पुलिन का हिंडोरा

– सुरंगी वस्त्र का हिंडोरा

– मचकी का हिंडोरा

– लहरिया वस्त्र का हिंडोरा

– साग भाजी का हिंडोरा

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