दूसरी ओर प्रदेश में लागू रेश्मा कानून की पालना में जिला पुलिस पूरे दिन हड़ताली चिकित्सकों की धरपकड़ का खाका बुनती रही, लेकिर रात तक उनके हाथ कुछ नहीं लगा। दूसरी ओर हड़ताल के चलते घायलों और मरीजों को परामर्श के लिए लंबा सफर तय कर जिला मुख्यालय स्थित महाराणा भूपाल चिकित्सालय पहुंचना पड़ा। यहां भी आपात कालीन इकाई में रेजिडेंट की अनुपस्थिति से सीटें खाली रही, जबकि ओपीडी समय में मरीजों को बारी का इंतजार करने में घंटों खड़े रहना पड़ा। वार्डों में मरीजों की संख्या से तौबा करते हुए अधिकांश प्रोफेसर्स स्तर के चिकित्सकों ने मरीजों को छुट्टी देकर घर भेजने में विश्वास जताया। वार्ड के राउंड में देरी से पहुंचे चिकित्सकों के कारण कई मरीजों को तकलीफों का सामना करना पड़ा। किराए पर लिए गए चिकित्सकों ने दूरदराज स्थित सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सेवाएं तो दी, लेकिन असरकारक नहीं रही।
READ MORE: video : राजस्थान के इस नेशनल हाइवे के किनारे मिला कटा हाथ, फैली सनसनी, अनसुलझी है पहेेेेली.. दबाव पर टीचर्स एसोसिएशन: इधर, हड़ताली चिकित्सकों के बीच राजस्थान मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने भी सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। विरोध के बीच खुद को साबित करते हुए वरिष्ठ प्रदर्शक को समयबृद्ध पदोन्नति की मांग करते हुए वर्ष 2011 में सरकार से हुए समझौते का हवाला दिया गया। अन्य प्रदेशों की तरह सहायक आचार्य की सह आचार्य के तौर पर 4 साल में होने वाली पदोन्नति, मेडिकल कॉलेज में होने वाले शव परीक्षण के लिए 1 हजार शुल्क परीक्षण अलाउंटस, प्रशासनिक पद पर कार्यरत चिकित्सकों प्रशासनिक पद का भत्ता बढ़ाकर 10 हजार रुपए किया जाए।