मुकेश हिंगड़ ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ Queen Elizabeth II का उदयपुर से भी गहरा नाता रहा है। वे 30 जनवरी, 1961 को उदयपुर आई थी। उनका यहां पैलेस में स्वागत किया गया था। वे पिछोला की सवारी करते हुए जगमंदिर गईं। यहीं नहीं वे कुछ दिन यहां रुकीं और इतिहासकारों से उदयपुर और आसपास के बारे में बहुत कुछ जाना-समझा। (महारानी एलिजाबेथ के निधन पर दु:ख जताया लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने, नीचे वीडियो में देखे)
बोहरा गणेशजी निवासी इतिहासकार डाॅ. राजेन्द्र नाथ पुरोहित बताते हैं कि 1961 में महारानी यहां आईं। तत्कालीन महाराणा भगवत सिंह ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उस कार्यक्रम में महाराणा ने इतिहास से जुड़े लोगों को भी बुलाया था, उसमें मेरे दादा स्व. देवनाथ पुरोहित भी शामिल थे।
महाराणा ने एक-एक से महारानी को मिलवाया और बाद में महारानी को उदयपुर के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया। सभी दरबारियों ने उस समय अमरशाही पगड़ी पहनी थी। एलिजाबेथ ने पैलेस के साथ-साथ पिछोला, जगमंदिर का भ्रमण भी किया।
लक्ष्यराज बोले- महारानी निवास पर ही रुकी थीं, ब्रिटेन का न्योता भी दिया था महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन के ट्रस्टी व राज्यपाल के सलाहकार लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने पत्रिका को बताया कि एलिजाबेथ 30 जनवरी, 1961 को आई थी। वे महारानी बनने के बाद उस समय पहली बार हिन्दुस्तान के भ्रमण पर आई थी। वे बताते हैं कि रानी बनने के बाद वे जब उदयपुर आई तब उनके दादा भगवत सिंह ने सिटी पैलेस के शिव निवास में मेवाड़ी परंपरानुसार अगवानी की थी। महारानी घर पर ही रही और कुछ दिन रुकी थी।
मेवाड़ ने बताया कि वे उदयपुर की कुछ जगहों पर भ्रमण पर भी गई थी। एलिजाबेथ ने उस गौरवमयी क्षण से अभिभूत होकर आभार व्यक्त करते हुए ब्रिटेन आने का का न्योता दिया था। उन्होंने बताया कि एलिजाबेथ जब यहां आई तब उनकी जीवन शैली के बारे में दादा और पिताजी अरविंद सिंह मेवाड़ ने बताया कि वे उदारवादी ह्रदय की थीं। मेवाड़ ने एलिजाबेथ के निधन पर शोध व्यक्त करते हुए कहा कि उनका ब्रिटेन में 70 साल का बेमिसाल कार्यकाल रहा।
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