डॉ. मेघवाल आरएनटी मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर पीडियाट्रिक्स हैं। उन्होंने बताया कि ये एक ऐसा मौका था जो करो या मरो की स्थिति ही थी। हर चीज को छूने से भी डर लगता था। ये एक युद्ध का मैदान ही लगता था कि गोली कहीं से भी आ सकती है और किसी को भी लग सकती है। लेकिन, हम भी जांबाज सैनिकों की तरह डटे रहे और आज उदाहरण सबके सामने हैं। 10 दिन रुकने के बाद क्वारेंटाइन में भेज दिया गया। अब फैमिली की याद सता रही है।
यादगार रहेगा ये अनुभव, 20 दिन से नहीं गए घर इसी तरह आरएनटी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर मेडिसिन डॉ. गौतम बुनकर बताते हैं कि भीलवाड़ा में जिस तरह रात-दिन काम में जुटे रहे, वे पल जिंदगी में यादगार ही रहेंगे। पूरी टीम ने बहुत अच्छा काम किया। हमारी एक भी चूक किसी की भी जान पर भारी पड़ सकती थी, इसलिए बारीक से बारीक पॉइंट्स पर काम किया। ऐसी परिस्थितियों में काम करने का अलग अनुभव हुआ है और खुद को और शायद मजबूत कर लिया है। घर पर गए लगभग 20 दिन हो गए हैं। पत्नी और दो बच्चे हैं। पत्नी भी सेटेलाइट हॉस्पिटल में हैल्थ मैनेजर हैं। उसे भी रोज ड्यूटी पर जाना पड़ता है। ऐसे में बच्चों को घर पर अकेला छोडऩा पड़ता है। पहले मेड्स घर पर आती थी, पर वे भी नहीं आ रही, इसलिए बच्चों की चिंता लगी रहती है, लेकिन फोन पर बच्चों से बात कर के और उन्हें देख कर ही अभी तसल्ली कर लेते हैं।