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ये हैं बाड़मेर के आकर्षण पयर्टन स्थल, एक बार अवश्य करें सैर

बाड़मेर राजस्थान में स्थित एक छोटा किंतु रंगों से भरपूर शहर है। इस शहर की स्थापना बहाड़ राव ने 13वीं शताब्दी में की थी

Dec 06, 2015 / 11:41 am

भूप सिंह

Barmer Travel

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बाड़मेर राजस्थान में स्थित एक छोटा किंतु रंगों से भरपूर शहर है। इस शहर की स्थापना बहाड़ राव ने 13वीं शताब्दी में की थी। पहले बाड़मेर को बहाडमेर के नाम से जाना जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ होता है बहाडा का पर्वत किला, लेकिन समय के साथ साथ इसके नाम में कई परिवर्तन हुए और अब इसे बाड़मेर के नाम से जाना जाता है। राजस्थान का यह क्षेत्र अपने समृद्ध हस्तशिल्प और पारंपरिक कला के कारण दुनिया भर में जाना जाता है। विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों की उपस्थिति इस स्थान को आने वाले पर्यटकों में और भी लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाती है।
बाड़मेर पहुंचना
बाड़मेर भारत के सभी हिस्सों से रेल, सड़क और वायुमार्ग से आसानी से जुड़ा है। इस कारण यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। बाड़मेर तक आसानी से पहुंचने के लिए यहां के रेलवे स्टेशन को छोटी लाइन के माध्यम से जोधपुर रेलवे स्टेशन से भी जोड़ा गया है। राजस्थान के किसी भी हिस्से से यहां आने के लिए आने वाले पर्यटकों को बसें और टेक्सियां बड़ी ही आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। जोधपुर हवाई अड्डा यहां का निकटतम हवाई अड्डा है जो बाड़मेर से 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाड़मेर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है इस दौरान यहां का मौसम राजस्थान घूमने के लिए बिलकुल अनुकूल होता है।
बाड़मेर किला, बाड़मेर
बाड़मेर किला, चट्टानी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जो कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रह चुका है जो अब बहुत ही जीर्ण-शीर्ण हालत में है लेकिन अभी भी यहां काफी पर्यटक आते हैं और आज भी अपने गौरव को बरकरार रखे हुए है और आने वाले पर्यटकों के बीच एक प्रमुख आकर्षण है।
चिंतामणि पारसनाथ जैन मंदिर, बाड़मेर
चिंतामणि पारसनाथ जैन मंदिर, 12 शताब्दी में बनवाया गया था जो एक जैन तीर्थंकर-पार्श्वनाथ को समर्पित है। इस मंदिर के अन्दर की मूर्तियां, आकर्षक तस्वीरें और सुन्दरता किसी का भी मन मोहने के लिए काफी हैं । साथ ही यहां मंदिर की भीतरी दीवारों पर मौजूद समृद्ध शीशे की दीवारें इसे और भी सुन्दर बनाती हैं और इस बात का एहसास कराती हैं की इस मंदिर को बड़ी ही ख़ूबसूरती के साथ बनाया गया था।
रानी भातिअनी मंदिर, बाड़मेर
रानी भातिअनी मंदिर जसोल में नाकोडा बालोतरा रोड पर स्थित है। ये मंदिर माता रानी भतिअनि को समर्पित है। इस मंदिर को बनाने में वही निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया है जिससे खेड स्थित जैन मंदिर बना है। साथ ही इस मंदिर के कई शस्त्र भी खेड से लाए गए हैं। ये मंदिर अपने चमत्कारी आशीर्वादों के लिए जाना जाता है जो यहाँ आने वाले भक्त को माता रानी भतिअनि की तरफ से मिलता है। ये मंदिर यहा्रं आने वाले श्रद्धालुओं के लिए साल भर खुला रहता है।
जूना जैन मंदिर, बाड़मेर
जूना जैन मंदिर, जैन समुदाय का एक प्रमुख मंदिर है जो जूना बाड़मेर की खूबसूरत पर्वत चोटियों पर बनाया गया था। इस मंदिर का निर्माण 12 या 13 वीं शताब्दी में किया गया था। एक समय में जूना बाड़मेर एक व्यस्तम कज्बा था लेकिन समय के साथ साथ यहाँ के लोगों ने दूसरे शहरों की तरफ पलायन शुरू कर दिया जिस कारण अब यहां ज्यादा लोग नहीं रहते हैं । इस जगह के बारे में ये भी कहा जाता है की जिन्होंने यहाँ से पलायन नहीं किया उन्होंने ही वर्तमान बाड़मेर का निर्माण किया है।
किराड़ू का अनोखा प्राचीन मंदिर, बाड़मेर
किराड़ू प्राचीन मंदिर, पांच मंदिरों का एक समूह है जो बाड़मेर से 39 किलोमीटर की दूरी पर हाथमा गांव में स्थित है। 1161 के एक शिलालेख से पता चलता है की हाथमा को पहले किरतकूप के नाम से भी जाना जाता था जो पहले पनवारा वंश की राजधानी भी थी। इस मंदिर के विषय में एक किवदंती बड़ी मशहूर है जो इसे और मंदिरों से अलग बनती है। 
देवका सूर्य मंदिर, बाड़मेर
देवका सूर्य मंदिर एक छोटे से गांव देवका में स्थित है जो बाड़मेर से 62 किलोमीटर की दूरी पर है । 13 वीं शताब्दी में बना ये मंदिर अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। विष्णु मंदिर के अलावा दो और मंदिरों के निकट होने के कारण काफी पर्यटक यहां आते हैं। इस मंदिर की ख़ास बात एक विशेष मूर्ति है जिसमें भगवान गणेश को एक पत्थर पर बैठे हुए दिखाया गया है।
मेवा नगर, बाड़मेर
मेवा नगर 12वीं शताब्दी का एक गांव है जो पहले विरानिपुर के नाम से जाना जाता था। ये पुरवा जो नगर की भकारिया नाम के पहाड़ों की ढलान पर स्थित है बालोतरा जो की बाड़मेर में स्थित है वहां से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर तीन प्रमुख जैन मंदिरों के अलावा भगवन विष्णु का भी एक मंदिर स्थित है। तीन जैन मंदिर में से एक जो सबसे बड़ा है वो नाकोडा पार्श्वनाथ को समर्पित है ।
नाकोडा मंदिर, बाड़मेर
नाकोडा मंदिर, को पार्श्वनाथ मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, इसे भारत में जैन तीर्थ के मुख्य केंद्रों के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर जैन संत पार्श्वनाथ की याद में बना है जो मुख्यत: काले पत्थर से निर्मित किया गया है। यह मंदिर जो तीसरी शताब्दी में दो भाइयों नकोर्सेन और वीरसेन द्वारा निर्मित किया गया था वो 1500 फीट की ऊंचाई पर जोधपुर बाड़मेर रोड पर स्थित है। कहा जाता है की इस मंदिर की मूर्ति को जैन आचार्य परम पूज्य स्थुलिभाद्रसुरी द्वारा स्थापित किया गया था लेकिन 1224 में आलम शाह के आक्रमण के बाद जैन संघ ने यहां स्थापित मूर्ति को छुपा दिया और बाद में फिर इसे 1373 में स्थापित किया गया। जैन समुदाय के लोगों में ऐसी धारणा है की ये मंदिर भगवान महावीर को समर्पित है। यहां कई अन्य मंदिर भी है जो ऋषभ देव और शांतिनाथ को समर्पित हैं।
महावीर पार्क, बाड़मेर
महावीर पार्क, बाड़मेर जिले में स्थित है, ये खूबसूरत पार्क अपने संग्रहालय के लिए भी जाना जाता है जहाँ आज भी प्राचीन नक्काशीदार मूर्तियोंप्रदर्शन के लिए रखी गयीं हैं।

सफेद अखाड़ा, बाड़मेर
सफेद अखाड़ा, सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के परिसर के भीतर स्थित एक उद्यान है। जो बाड़मेर के बहुत निकट है। इस स्थान पर खाना पकाने और अस्थाई आवास के लिए भी सुविधा है।
विष्णु मंदिर, बाड़मेर
रंचिर्जी विष्णु मंदिर खेड में स्थित है जो अपनी स्थापत्य भव्यता के लिए जाना जाता है । इस मंदिर के मुख्य द्वार पर एक गरुड़ की छवि है साथ ही ये भी कहा जाता है ये गरुड़ मंदिर की रखवाली करता है । ये मंदिर आज भी ढहती दीवारों से घिरा है लेकिन आज भी इसकी महिमा पहले जैसी ही है ।

नीमड़ी, बाड़मेर
नीमड़ी चौहान मार्ग पर बाड़मेर से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक उद्यान है! वर्तमान में यहाँ पर स्विमिंग पूल आने वालों के लिए इसे और भी ख़ास बनाता है साथ ही ये जगह पर्यटकों को एक नैसर्गिक सौंदर्य का भी एहसास कराती है।
जूना बाड़मेर
पहाड़ी पर स्थित इस नगर में एक पुराने किले के खंडहर देखे जा सकते हैं। यहां के अन्य प्रमुख आकर्षणों में बलार्क (सूर्य) को समर्पित मंदिर और जूना बाड़मेर के अवशेष शामिल हैं। तीन जैन मंदिर, 1295 ई. का शिलालेख और महाराजा कुल श्री सामंत सिन्हा देव के सबसे बड़े मंदिर में लगे विशाल स्तंभ भी देखने लायक हैं।

खेड़
राठौड़ वंश के संस्थापक राव सिहा और उनके पुत्र ने खेड़ को गुहिल राजपूतों से जीता और यहां राठौड़ों का गढ़ बनाया। रणछीजी का विष्णु मंदिर यहां का प्रमुख आकर्षण है। मंदिर के चारों और दीवार बनी है और द्वार पर गुरुड़ की प्रतिमा लगी है जिसे देख कर लगता है मानो वे मंदिर की रक्षा कर रहे हों। पास ही ब्रह्मा, भैरव, महादेव और जैन मंदिर भी हैं।

खरीदारी
खरीदारी के शौकीन लोगों के लिए बाड़मेर किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां रंगबिरंगी कढ़ाई में जड़े हुए शीशे सैलानियों को आकर्षित करते हैं। विशेषरूप से विदेशी सैलानी इन वस्तुओं को अवश्य खरीदते हैं। पारंपरिक रंगों और बुनाई से बने शॉल, कालीन, दरी और कंबल इस क्षेत्र की खासियत हैं। सदर बाजार के आसपास बनी छोटी-बड़ी दुकानों से 
इन चीजों की खरीदारी की जा सकती है।

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