जो हवा की नमी को सोखकर भी कई वर्षों तक हरा रह सकता है। केर बंजर एवं पत्थरीली जमीन पर ज्यादा पाया जाता है। इसको खाने योग्य बनाने के लिए मिट्टी के एक बड़े मटके में पानी में नमक डालकर केर को डुबोकर रखा जाता है। जिससे केर का कड़वापन खत्म हो जाता है। इसके बाद इसका खट्टा मीठा स्वाद हो जाता है। शहर के लोगों के खाने में केर की सब्जी व अचार पहली पसंद बन गया है। केर औषधीय गुणों से भी भरपूर माना जाता है। केर की सब्जी और अचार बहुत ही स्वादिष्ट बनाता है।
गांव के लोगों को मिलने लगा रोजगार
गर्मी का मौसम आने के साथ केर की झाड़ियां फूलों से लकदक होने लगती है। फरवरी के महीने में झाड़ियों के फूल आने शुरू हो जाते है। इसके बाद अप्रेल व मई में झाड़ियों पर केर लगते है। जो करीब दो महीने तक चलता है। इस बार केर के भाव 150 से लेकर 200 रुपए तक है। गांव की दर्जनों महिलाएं अपनी ओढनी की झोली बनाकर केर तोड़ती नजर आती है। केर की उपज किसी जमाने में महज आजीविका का साधन थी। अब लोगों के लिए व्यापार का जरिया बनती जा रही है। गांव में महिलाएं प्रतिदिन करीब तीन-चार किलो केर लाकर बेच रही है। अच्छी कमाई करके अपना घर खर्च चलाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
गर्मी के मौसम में आता है
टोंक जिले की सब्जियां जहां दिल्ली की मंडी में पंसद की जाती है। वहीं केर की सब्जी और अचार देश-विदेश में काफी मांग रखता है। आलम यह है कि अजमेर और जयपुर की मंडी में टोंक जिले के केर की मांग काफी अधिक है।
शहरों के साथ होटलों में बढ़ रही है मांग
केर की शहरों व होटलों में मांग बढ़ती जा रही है। केर की जयपुर, अजमेर, जोधपुर सहित टोंक जिले में जबरदस्त मांग है। देश-विदेश में इनकी सब्जी व अचार को लोग बड़े चाव से खाते है। कभी सिर्फ गांवों के लोगों की थाली में नजर आने वाली केर की सब्जी व अचार अब शहरों की होटलों की डाइनिंग टेबल पर नजर आने लगी है। शहरों में होने वाली शादी-समारोह में इस सब्जी एवं अचार खाने की मनुहार की जाती है।
यह है टोंक जिले में मशहूर
उद्यान विभाग के मुताबिक जिले में टिंडा, मिर्च, टमाटर, गोबी, मोगरे का फूल, खीरा, अमरूद, तरबूज व खरबूज आदि काफी पसंद किए जाते हैं। इसका कारण है कि फल और सब्जियां बनास नदी के मीठे पानी की सिंचाई से होते हैं। जिले में सब्जी की खेती से करीब 10 हजार परिवार जुडे़ हुए हैं। एक हजार परिवार तो जिला मुख्यालय पर है। यह बनास नदी और उसके किनारें पर बने खेतों में सब्जी का उत्पादन करते हैं। जिले में 4 हजार हैक्टेयर सब्जी की पैदावार होता है। बाजार में पूरे साल हर प्रकार की सब्जी व अचार मिलते हैं। लेकिन केर गर्मियों के मौसम में दो-तीन महीने ही बिकती है। इसकी सब्जी व अचार बेहद फायदेमंद माना जाता है। केर की सब्जी व अचार बनाने की अलग-अलग विधियां है। केर को सुखाकर भी लम्बे समय के लिए काम में ले सकते हैं। वहीं इसके अचार को सफर के दौरान भी खाने के लिए काम में लिया जाता है। केर की अचार के साथ कढ़ी और चटनी भी बनती है। केर की सब्जी का स्वाद शहरों की होटलों में बनने वाली सब्जियों को भी मात देता है।