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तीन सिपाहियों के भरोसे बीसलपुर बांध की सुरक्षा

प्रदेश के बड़े बांधों में शामिल बीसलपुर बांध पर सुरक्षा व्यवस्था महज तीन सिपाहियों के भरोसे है। बीसलपुर में पुलिस चौकी तो स्थापित कर रखी है, लेकिन पुलिसकर्मियों की कमी के साथ ही हादसों के दौरान राहत कार्यों के लिए संसाधनों की कमी के कारण तैनात पुलिसकर्मी हताश नजर आते हैं।

टोंकAug 10, 2021 / 09:54 am

pawan sharma

तीन सिपाहियों के भरोसे बीसलपुर बांध की सुरक्षा

तीन सिपाहियों के भरोसे बीसलपुर बांध की सुरक्षा

राजमहल. प्रदेश के बड़े बांधों में शामिल बीसलपुर बांध पर सुरक्षा व्यवस्था महज तीन सिपाहियों
के भरोसे है। जबकि बरसता के दिनों में तो यहां हजारों लोगों की भीड़ रहती है। बीसलपुर में पुलिस चौकी तो स्थापित कर रखी है, लेकिन पुलिसकर्मियों की कमी के साथ ही हादसों के दौरान राहत कार्यों के लिए संसाधनों की कमी के कारण तैनात पुलिसकर्मी हताश नजर आते हैं।

हालात यह हो जाते हैं कि बीसलपुर चौकी पर लगे सिपाही बीसलपुर बांध पर बारिश के दौरान रोजाना आने वाले हजारों पर्यटकों व श्रद्धालुओं पर नजर रखने के साथ गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर में कोरोना कोविड-19 की गाइड लाइन की पालना भी कराते हैं।

ऐसे में कम होने पर उनमें भागदौड़ रहती है। वहीं बांध के डाऊन स्ट्रीम में बने पवित्र दह में होते हादसों की रोकथाम को लेकर भी वे चिंतित रहते हैं। ऐसे में तीन पुलिस कर्मी अलग-अलग जगह ड्यूटी देते हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं है।
बीसलपुर बांध के दह में हर वर्ष बारिश के दौरान कई लोग हादसे का शिकार होकर अकाल मौत के मुंह में समा जाते हैं। यहां पर्याप्त जाप्ता हो तो हादसे पर अंकुश लग सकता है। हालांकि बीसलपुर बांध परियोजना की ओर से बांध के गेट संख्या एक, दो व तीन पर निजी सुरक्षा गार्ड तैनात कर रखे हैं, जो गेटों तक सीमित रहते हैं। ऐसे में उनका सहारा भी नहीं मिल पाता है।
गोताखोर के साथ नाव का अभाव

बीसलपुर बांध के पवित्र दह की गहराई वाले पानी में डूबने से मौत होती है। पुलिस को राहत कार्य शुरू करने के लिए स्थानीय तैराकों व उन्हीं की हस्थचलित नावों के भरोसे रहना होता है। यहां बांध बनने के बाद से लेकर अब तक दर्जनों लोगों की मौत के बाद भी प्रशासन की ओर से बारिश के दौरान यहां गौताखोर की ड्यूटी नहीं लगाई जाती है।
हर बार राहत कार्य शुरू करने के बाद प्रशासन को गौताखोर की याद आती है। शव की तलाश में घटना के बाद कोटा या अन्य जगहों से गौताखोर बुलाया जाता है। बांध परियोजना को सरकार की ओर से नाव तो दी जाती रही है, लेकिन ये नाव पवित्र दह में होते हादसों के दौरान जलभराव में पड़ी रह जाती है।
गश्त का भी जिम्मा

चौकी पर एक हैड कांस्टेबल के साथ तीन सिपाही ड्यूटी पर हैं। जिनमें एक सिपाही रोजाना पुलिस थाना देवली में गश्त व अन्य कार्यों के लिए बुला लिया जाता है। दो सिपाही व एक हैड कांस्टेबल को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 52 स्थित गांवड़ी पंचायत की अम्बापुरा कॉलोनी तक कभी तामील तो कभी दुर्घटना व अन्य पुलिस के कार्य से भागना पड़ता है।
एक सिपाही को बीसलपुर बांध पर रहकर सभी ओर निगरानी करनी होती है। ऐसे में भीड़ पर नियंत्रण मुश्किल होता है। बीसलपुर बांध व गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर स्थल चारों तरफ से पहाडिय़ों से घिरा हुआ है। ऐसे में यहां मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करने के कारण सूचना देने में परेशानी होती है।

नेटवर्क भी नहीं करता काम

चौकी पर नियुक्ति सिपाही बारी-बारी से बांध के हर पॉइंट पर निगरानी रखते हैं। पर्यटकों की भीड़ व हादसों की आशंका को लेकर स्टॉफ की कमी खलती है। उच्चाधिकारियों को अवगत कराया है।
– बद्री लाल यादव, पुलिस चौकी प्रभारी बीसलपुर
अधिकारियों को कराया है अवगत
बीसलपुर में कर्मचारियेां की कमी के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करवाकर स्टाफ बढ़वाने का प्रयास करेंगे। साथ ही संसाधनों आदि की कमी के लिए बांध परियोजना को भी बारिश के दौरान प्रशासन से संसाधन व गेट पर पुलिस चौकसी के लिए स्टाफ बढ़ाने की मांग करनी चाहिए। जिससे अतिरिक्त स्टाफ लगाया जा सके। – दीपक मीणा, पुलिस उपाधीक्षक देवली

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