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टमाटर के तेवर हुए ठण्डें, मिर्ची भी हुई शांत तो प्याज ने किया रुलाना शुरु

सब्जियों के दामों में हुई गिरावट से रसोई फिर से महकने लगी है

टोंकAug 23, 2017 / 07:43 am

pawan sharma

 दुकान पर बिक्री के लिए लाई गई सब्जियां।

  टोंक के पुराने बस स्टैण्ड स्थित दुकान पर बिक्री के लिए लाई गई सब्जियां।

 टोंक.

सब्जियों का थोक उत्पादन बाजार में आने से इनके दामों में गिरावट आई है। हालांकि प्याज का ‘तीखापन’ बढ़ गया, लेकिन टमाटर का ‘रंग’ उतर रहा है तथा हरी मिर्च भी अब ज्यादा ‘लाल’ नहीं हो रही। इससे निर्धनों व मध्यम वर्ग की रसोई फिर से महकने लगी है। उल्लेखनीय है कि करीब एक महीने से टमाटर के भाव सौ रुपए प्रति किलो से अधिक, हरी मिर्च 90 रुपए किलो के आसपास चल रहे थे।
इससे अधिकतर लोगों की सब्जी से टमाटर व हरी मिर्च गायब हो गए थे। सलाद में भी केवल प्याज व खीरा ही था। दाम कम होने से लोगों को कुछ राहत मिली है। अब टमाटर 55 से 60 रुपए व हरी मिर्च 80 रुपए प्रति किलो है। दाल में तडक़ा लगाने वाली सामग्री में शामिल प्याज के ‘आंखें तरेरने’ से लोग परेशान हैं। सफेद प्याज 25 से 30 रुपए प्रति किलो पहुंच गया। लाल प्याज भी 40 रुपए किलो बिक रहा है। ऐसे में दाल में जीरे का ही तडक़ा लगाया जा रहा है। इससे चटपटापन कम हुआ है।

इनके भी कम हुए भाव
बाजार में सब्जियों के दाम आसमान पर होने से ग्राहकों की जेबें खाली हो रही थी। काफी रुपए खर्च करने पर ही थैला भर पाता था। अब दाम कुछ कम होने से राहत मिली है। इस समय खुदरा भाव में टिंडा 30, भिण्डी 35, लौकी 20, कद्दू 30, अदरक 80 रुपए प्रति किलो है।
बंथली. इन दिनों अचानक सब्जियों के दामों में हुई गिरावट से थोक मंडी व्यापारियों की हालत खस्ता हुई है। वहीं आम आदमी को राहत मिली है। उल्लेखनीय है कि आसमान पर चल रहे टमाटर के दामों में कमी हुई हैं। वहीं लौकी व कद्दू के दाम भी फिसल रहे हंै।

बारिश ने भी बढ़ा दिया उत्पादन
राजमहल. बनास नदी सहित आस-पास के क्षेत्र में बोई गई सब्जी की फसलों में लगे रोग बारिश में धुल जाने से किसानों के चेहरों पर खुशी है। उत्पादन बढऩे से सब्जियों के दाम भी घटने लगे हैं। क्षेत्र में तैयार की जा रही सब्जी फसल में कुछ दिन पहले रोग लगने किसान दु:खी थे, लेकिन पिछले दिनों हुई बरसात से मुरझाए पौधे वापस अंकुरित होकर फल देने लगे हैं।
बीसलपुर बांध की डाऊन स्ट्रीम में लगभग सौ हैक्टेयर में मिर्च, करेले, कद्दू, लौकी आदि की फसलें बोई जाती है। इसमें अधिकांश बाडिय़ां रोग व सिंचाई के चलते खराब हो गई थी। इनमें से कई स्थानों पर इन दिनों वापस फसलों से रोग हटने के कारण उत्पादन बढऩे लगा है।
इसी प्रकार बांध के तट स्थित नेगडिय़ा, कासीर, डाबर, रघुनाथपुरा, छात्तड़ी आदि गांव की सैकड़ों बीघा भूमि में सब्जी की काश्त की जा रही है। बांध के करीब क्षेत्र में तैयार सब्जियां देवली, टोंक, बूंदी, केकड़ी जहाजपुर आदि मण्डियों में पहुंचाई जा रही है। खीरा व ककड़ी की फसल दिल्ली, जयपुर, कोटा आदि की मण्डियों में भेजी जा रही है।
आने लगा है नया उत्पादन
60 प्रतिशत ही हुई बीज की बिक्री
मालपुरा. टोरडी, गोलीपुरा, रिण्डल्या, जनकपुरा, डूंगरीकला, शहर मालपुरा सहित कई क्षेत्रों में करीब 800 हैक्टेयर में टमाटर की फसल की बुवाई की जाती है, लेकिन चालू सत्र में बारिश की कमी, पौध तैयार करने के लिए अनुकूल वातावरण नहीं होने एवं गत वर्ष किसानों को उचित दाम नहीं मिलने से किसानों ने टमाटर की बुवाई ही कम की है जिसके चलते गत वर्ष के मुकाबले 60 प्रतिशत ही बीज की बिक्री हुई है। क्षेत्र में पैदा होने वाला टमाटर मालपुरा से जयपुर, टोंक, दिल्ली सहित आस-पास के क्षेत्रों में जाता है।

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