वहीं खनिज विभाग और पुलिस प्रशासन का कोई एक्शन नहीं होने से बजरी माफियाओं का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। कालाबाजारी भी जोरों पर है, जिसे रोकने के लिए कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है।
डेढ़ से दोगुना कमा रहे रकम
बनास नदी के पास बजरी माफियाओं की ओर से 10-12 चक्का ट्रक 20 से 25 हजार रुपए में भरवा रहे हैं, जिसमें 40 से 50 टन बजरी जा रही है। वहीं ट्रेलर को 30 से 35 हजार रुपए में भरवा रहे हैं, जिसमें करीब 70 टन बजरी जा रही है। यहां से ये बजरी 500 से 600 रुपए प्रति टन में ले जा रहे हैं। वहीं जयपुर और कोटा शहरों में यहीं बजरी माफिया 1500 से 1600 रुपए प्रति टन के हिसाब से बेच रहे हैं। रात में करते हैं परिवहन
टोंक सहित जिले के देवली, टोडारायसिंह, पीपलू क्षेत्र में बजरी माफियाओं की ओर बांध में ज्यादा पानी आने से पहले ही बनास नदी के पास खेतों व सड़क पर बजरी का अवैध भंडारण कर लिया है। जिसे शाम ढलने के बाद माफिया ट्रकों में भरवाकर परिवहन कर रहे हैं।
बीसलपुर बांध के डाउन स्ट्रीम में बहती बनास नदी में राजमहल, कुरासिया, भगवानपुरा, सतवाड़ा, बनेडिया, कंवरावास, बंथली, जलसीना, भरनी के निकट आदि जगहों पर धड़ल्ले से बजरी खनन किया जा चुका है। जहां से रोजाना निकटवर्ती गांव, कस्बों के साथ ही जयपुर,
कोटा, बूंदी आदि शहरों में परिवहन हो रहा है।
बरसात की वजह से भंडारण से बजरी का परिवहन नहीं हो रहा है। बाहरी क्षेत्र के भंडारण से कुछेक वाहन बजरी लेकर जा रहे हैं। इससे बजरी महंगी हो गई है। कुछ दिनों बाद फिर से बजरी सस्ती हो जाएगी। – सोहनलाल सुथार, सहायक अभियंता खनिज विभाग, टोंक
जिम्मेदार नींद में और जान जोखिम में
खनिज विभाग और प्रशासन की उदासीनता के चलते बजरी माफिया अपने वाहनों को गांव की तंग गलियों में बेखौफ दौड़ाते हैं। विद्यालय और घनी आबादी वाले क्षेत्र में भी इन वाहनों की गति कम नहीं हेाती, जिससे आए दिन हादसे की आंशका बनी रहती है। ग्रामीणों की ओर से प्रशासन को सूचना देने के बाद भी एक-दूसरे विभाग की जिम्मेदारी बताकर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। खनिज विभाग भी मौन है।