इसके साथ ही जुर्माना भी लगाया।
कोर्ट ने कहा कि धारदार हथियारों से घटना को अंजाम दिया, ऐसे में नरमी नहीं दिखाई जा सकती। विशेष लोक अभियोजक जवाहर सिंह ने कोर्ट को बताया कि धन्नी देवी ने 10 जुलाई 2000 को मालपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें कहा कि वह पति हरिराम के साथ खेत पर जा रही थी। इसी दौरान उसके पति पर हथियार से हमला होने से मौत हो गई।
परिवादिया की ओर से अधिवक्ता वीके बाली और अधिवक्ता सोनल दाधीच ने कोर्ट को बताया कि उस समय मालपुरा में साम्प्रदायिक दंगा हुआ। परिवादिया व उसके पति की कोई रंजिश नहीं थी, फिर भी अपराधियों ने उसके पति हरिराम की हत्या कर दी। कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।