बल्देवगढ़ के बारे लाल चौरसिया ने बताया कि मां विंध्यवासिनी मंदिर में पहली पूजा को कोई देख नहीं पाया। कितनी ही सुबह से मंदिर में कोई जाए तो माता पर पहले से ही जलऔर पुष्प अर्पित रहते हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि कोई पहले से ही पूजन कर चुका है। मंदिर लगभग पहाड़ पर 100 मीटर ऊंचाई पर बना है। जिसके दक्षिण पूर्वी व पूर्व दिशा की ओर से सीढिय़ां चढक़र मां के दर्शन को पहुंचना पड़ता है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि प्राचीन मंदिर का विस्तार 2001 में किया गया। मंदिर के ऊपरी तल पर तीन धर्मशाला और तीन तलघर धर्मशालाएं हैं। मंदिर के पीछे पहाड़ी पर शेर की गुफ ा है और वर्षों पूर्व इस गुफ ा में शेर को देखा गया। क्षेत्र में ऐसी मान्यता है जो भी भक्त मां विंध्यवासिनी मंदिर के दर्शन श्रद्धा भाव से करता है और मन्नत मांगता है माता रानी उसकी मुराद पूरी करती हैं। मां विंध्यवासिनी मंदिर मैदान में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी से मेला लगता है, जो कि पूर्णिमा तक चलता है।