१३० वर्ष पुरानी महेंद्र कूप, मऊचुंगी की बावडी के साथ अन्य में पानी भरा हैं। महेंद्र कूप बावडी, मऊचुंगी की बावडी, ढोंगा रोड की बावडी लाल ईट से निर्माण हैं, कई बावडी में नीचे तक सिढियां बनी हैं। बजाज की बगिया, गणेश बावडी, सौंदा कुआं के साथ नजरबाग की बावरी पानी से लबालब भरी हैं, लेकिन संरक्षण के अभाव में कूडादान बनकर रह गई हैं।
महेंद्र कूप मोहल्ला निवासी गोकुल राजपूत बताते हैं कि शहर की महेंद्र कूप बावडी१३० वर्ष पुरानी हैं। इससे पुरानी टेहरी की टंकी को भरा जाता था। वर्ष २०२० तक नल लाइन और आसपास के मोहल्ले वाले रस्सी में बाल्टी बांधकर प्यास बुझाते थे। आज भी रस्सी से कटे पत्थर पर उसके प्रमाण प्रत्यक्ष गवाह हंै और आज भी मोहल्ले वाले छोटा बिजली पंप रखे हैं। वहीं मोहल्ले के साथ किले में पानी पहुंचाने वाली पाइप लाइन बिछी हैं।
हमारे पूर्वज जल का महत्व जानते थे, यही कारण हंै कि उन्होंने बूंद-बूंद पानी को सहेजने पर जोर दिया। जल संरक्षण के क्षेत्र में उनके किए कार्य आज भी ऐतिहासिक बावडियों के रूप में मौजूद हैं। ऐसी ही एक ऐतिहासिक बावड़ी हैं महेंद्र कूप, बजाज की बगिया, सौंदा कुआं, गणेश के साथ अन्य बावड़ी हैं।
राजेंद्र अध्वर्यु, समाजसेवी टीकमगढ़।
गीता मांझी, सीएमओ नगरपालिका टीकमगढ़।