वाणिज्यकर अधिकारी एसपी ङ्क्षसह ने बताया कि विभाग द्वारा 8 से 12 जनवरी तक मोबाइल चेङ्क्षकग के पावर दिए गए थे। ऐसे में जिले से माल लेकर गुजरने वाले विभिन्न वाहनों की जांच की गई थी। इन पांच दिनों में 9 ऐसे वाहन मिले थे तो बिना ई-वे बिल के माल को ले जा रहे थे। ऐसे में इन वाहनों में लोड माल के बिल के आधार पर उन पर करारोपण करने की कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि इन वाहनों में से 7 के मालिकों द्वारा 9 लाख रुपए से अधिक की पेनाल्टी जमा करा दी गई है, जबकि दो को नोटिस जारी किया गया है और इसके बाद पेनल्टी जमा कराई जाएगी।
इन पर लगी पेनाल्टी वाणिज्यकर अधिकारी एसपी ङ्क्षसह ने बताया कि एल्यूमीनियम सेक्शन लेकर आए सराफ सेल्स पर 2.76 लाख, श्रीनाथ जी फर्नीचर जबलपुर पर 57 हजार, 9 इलेक्ट्रिक के वाहन पर 1.49 लाख, सरस्वती ट्रेडर्स दतिया द्वारा ले जाए जा रहे भुने चने पर 1.10 लाख, राजनंद गांव से छतरपुर सूखे बेर लेकर जा रहे पीएन ट्रेडर्स के वाहन पर 26 हजार, पुरानी पाइप लेकर सतना से राजस्थान जा रहे एडविक रि-फैक्ट्रीज सतना के वाहन पर 2.70 लाख एवं सोयाबीन का तेल लेकर जा रहे उत्सव इंटर प्राइजेज गढ़ाकोटा के वाहन पर 23 हजार रुपए की पेनल्टी लगाने के साथ ही इसे जमा करा लिया गया है। उन्होंने बताया कि यह सभी वाहन बिना ई-वे बिल के माल का परिवहन कर रहे थे। वहीं इस जांच में क्रेन के पार्टस लेकर जा रहे यादव क्रेन सर्विस महोबा के वाहन पर 5.50 लाख एवं दिल्ली माल लेकर जा रहे विश्वास पावर इंजीनियङ्क्षरग सर्विस के वाहन पर 5.40 लाख रुपए की पेनल्टी लगाई है। इन दोनों फार्मों से राशि जमा कराई जानी शेष है।
ई-वे बिल जरूरी जीएसटी लागू होने के बाद से माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल जरूरी हो गया है। माल कहां से कहां भेजा जा रहा है इसका पूरा ब्यौरा ई-वे बिल में होता है। टैक्स चोरी रोकने के लिए ई-वे बिल जरूरी है, लेकिन बहुत से व्यापारी इसमें लापरवाही बरतते है। बताया जा रहा है कि लंबे समय से अब वाणिज्यकर विभाग को अपने स्तर पर इन वाहनों की जांच करने का अधिकार नहीं होता है। समय-समय पर विभाग द्वारा ऊपर से उन्हें इसके अधिकार दिए जाते है, इसके बाद ही अधिकारी इन वाहनों की जांच कर पाते हैं।