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टीकमगढ़

अब महुआ से मादकता नहीं महकेगी, मिष्ठान बनेंगा

कुपोषण से जंग का आधार बनेगी महुएं की कैंडी, कृषि वैज्ञानिकों ने तीन फ्लेवर में बनाई कैंडी

टीकमगढ़Feb 17, 2022 / 11:14 am

anil rawat

Changed nature of Mahua, no longer alcohol, candy is being made

Changed nature of Mahua, no longer alcohol, candy is being made

टीकमगढ़. शराब के लिए बदनाम महुएं के प्रति अब हमें अपनी सोच बदलनी होगी। अब महुआ नशे के काम नहीं आएगा, बल्कि यह कुपोषण से जंग में सहयोगी बनेगा। कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने महुएं में पाए जाने वाले न्यूट्रिशन को देखते हुए इसका वेल्यू एडिशन करते हुए इसकी कैंडी बनाई है। यह कैंडी कुपोषण से लड़ रहे बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार करने जहां आंगनबाड़ी केन्द्रों में भेजी जाएगी, वहीं इसकी मार्केटिंग के लिए भी योजना तैयार की जा रही है।


जिले में बहुतायत मात्रा में पाए जाने वाले महुए को देखते हुए कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसका वेल्यू एडिशन कर इसकी कैंडी, सॉस आदि बनाने की योजना बनाई थी। केन्द्र सरकार से इसकी स्वीकृति मिलने के बाद वैज्ञानिकों ने इस पर काम शुरू कर दिया था। इस परियोजना पर काम करने वाले डॉ ललित मोहन बल ने बताया कि महुआ की प्रोसेसिंग कर उसमें आंवला, बेर और अमरूद मिक्स कर तीन प्रकार की कैंडी तैयार की गई है। यह स्वाद में बेजोड़ होने के साथ ही बच्चों को तमाम न्यूटे्रशन देने वाली है।

 

वसा और कार्बोहाइट्रेट का श्रोत
टीम के सदस्य वैज्ञानिक डॉ एमके नायक ने बताया कि आम, अमरूद और बेर में जहां विटामिन सी पाया जाता है वहीं महुए में 50 प्रतिशत वसा, 17 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत काबोहाईट्रेट एवं 3 प्रतिशत फाइवर पाया जाता है। यह कुपोषित बच्चों के लिए बहुत लाभदायक है। कुपोषण से जिन बच्चों के बाल पीले पड़ जाते है, या झड़ जाते है, यह उसे रोकने में असरकारक है। उनका कहना था कि यह कैंडी सबसे पहले आंगनबाड़ी केन्द्रों में पहुंचाई जाएंगी। इसके लिए जिला प्रशासन से बात की जा रही है। वहीं इसे मार्केट उपलब्ध कराने के लिए भी योजना बनाई जा रही है। वहीं कॉलेज में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी यह कैंडी बनाने का निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा।


बाहर जाता है पूरा महुआ
विदित हो कि जिले में बड़ी मात्रा में महुआ की पैदावार होती है। जिले के अनेक किसान इसका संग्रहण करते है। यह पूरा महुआ बाहर भेजा जाता है। स्थानीय स्तर पर भी कुछ लोग इसका उपयोग करते है। महुएं का सबसे ज्यादा उपयोग देशी शराब बनाने में किया जाता है। ऐसे में महुएं का काम करने वाले किसानों को इसके दूसरे उत्पादों से जोडऩे के लिए कृषि महाविद्यालय की टीम दो सालों से काम कर रही थी। अब उनका लक्ष्य पूरा होता दिख रहा है।

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