scriptPitambara Temple Datia: पीतांबरा पीठ की देवी मां बगलामुखी, जानें क्यों कहलाती हैं राजसत्ता की देवी? | Pitambara Mata datia know as RajSatta ki Devi | Patrika News
मंदिर

Pitambara Temple Datia: पीतांबरा पीठ की देवी मां बगलामुखी, जानें क्यों कहलाती हैं राजसत्ता की देवी?

मां बगुलामुखी ही पीतांबरा देवी!

Jul 23, 2021 / 04:38 pm

दीपेश तिवारी

pitambara mata

Rajsatta ki devi maa pitambara

देश दुनिया में यूं तो कई देवियों व देवताओं के मंदिर हैं। जिनमें से कुछ के चमत्कार तो आज तक वैज्ञानिक तक नहीं सुलझा पाए हैं। इन्हीं सब मंदिरों के बीच एक चमत्कारिक देवी मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया में भी मौजूद है। जिन्हें राजसत्ता की देवी भी माना जाता है।

संबंधित खबरें

दअरसल हम यहां बात कर रहे हैं दतिया स्थित मां पीतांबरा पीठ की जहां बगलामुखी देवी के रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं। मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी होने के साथ ही राजसत्ता की देवी भी कहलाती हैं।

इसी कारण राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। इस सिद्धपीठ की स्थापना सिद्ध संत स्वामी जी ने 1935 में की थी। वहीं स्थानीय लोगों की मान्यता है कि मुकदमें आदि के सिलसिले में भी मां पीताम्बरा का अनुष्ठान सफलता दिलाने वाला होता है।

मंदिर में मां पीतांबरा के साथ ही खंडेश्वर महादेव और धूमावती के दर्शनों का भी सौभाग्य मिलता है। मंदिर के दायीं ओर विराजते हैं खंडेश्वर महादेव, जिनकी तांत्रिक रूप में पूजा होती है। महादेव के दरबार से बाहर निकलते ही दस महाविद्याओं में से एक मां धूमावती के दर्शन होते हैं। सबसे अनोखी बात ये है कि भक्तों को मां धूमावती के दर्शन का सौभाग्य केवल आरती के समय ही प्राप्त होता है क्योंकि बाकी समय मंदिर के कपाट बंद रहते हैं।

Must Read – माई की शरण में मंत्री-नेता, 9 दिनों में इन 4 बड़े राजनेताओं ने की पूजा-अर्चना

temple_darshan.jpg

राजसत्ता की देवी
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है। इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं। ऐसे में यहां देश में चुनाव से पहले कई बड़े राजनेताओं तक का आना लगातार शुरु हो जाता है।
वहीं यह भी कहा जाता है कि मां पीतांबरा देवी अपना दिन में तीन बार अपना रुप बदलती हैं मां के दर्शन से सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर को चमत्कारी धाम भी माना जाता है।

मां पीतांबरा के मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं जाती। राजा हो या रंक, मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं।

मां बगलामुखी का मन्दिर
दस महाविद्याओं में से एक मां बगलामुखी का मन्दिर है, यह पीताम्बरा पीठ। यह देश के सबसे बड़े शक्तिपीठों में से एक है। ‘बगलाÓ शब्द संस्कृत के ‘वल्गा’ शब्द का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है, दुल्हन। देवी मां के अलौकिक सौन्दर्य के कारण उन्हें यह नाम मिला।

Must Read- Guru Purnima 2021: इस गुरु पूर्णिमा राशिनुसार करें ये दान, हर परेशानी होंगी दूर

guru_purnima_dan_1.jpg

पीले वस्त्र पहनने के कारण उन्हें पीताम्बरा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि आचार्य द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा चिरंजीवी होने के कारण आज भी यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं। माना जाता है कि मां बगुलामुखी ही पीतांबरा देवी हैं, इसलिए उन्हें पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं। इसके साथ ही अनुष्ठानों में भी भक्तों को पीले कपड़े पहनने होते हैं, मां को पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं।

जानकारों के अनुसार इस सिद्धपीठ का पश्चिम दिशा में प्रवेशद्वार वास्तुनुकूल स्थान पर बना है जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वहीं परिसर के नैऋत्य कोण में पुजारी, भक्तों के रहने और ऑफिस इत्यादि के लिए भवन बने हैं। इस प्रकार नैऋत्य कोण भी भारी है। परिसर के उत्तर ईशान कोण में बढ़ाव है।

मां पीतांबरा के वैभव से सभी की मनोकामना पूरी होती है। भक्तों को सुख समृद्धि और शांति मिलती है, यही वजह है कि मां के दरबार में दूर दूर से भक्त आते हैं, मां की महिमा गाते हैं और झोली में खुशियां भर कर घर ले जाते हैं।

Must Read- सावन सोमवार के दिन इस कथा का पाठ दिलाता है हर समस्या से मुक्ति

shiv_katha_on_sawan_1.jpg

शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी…
मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है।क्या आपको मालूम है चीन से युद्ध के दौरान दतिया स्थित पीतांबरा माता ने ही हमारी मदद की थी। जिसके बाद चीन की सेना ने युद्ध रोक दिया था।

दरअसल भारत चीन युद्ध के समय यहां फौजी अधिकारियों व तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर देश की रक्षा के लिए मां बगलामुखी की प्रेरणा से 51 कुंडीय महायज्ञ कराया गया था। जिसके परिणामस्वरूप 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं। उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी यहां स्थित है। यहां लगी पट्टिका पर इस घटना का उल्लेख भी है।

कहा जाता है कि जब-जब देश के ऊपर विपत्तियां आती हैं तब-तब कोई न कोई न कोई गोपनीय रूप से मां बगलामुखी की साधना व यज्ञ-हवन अवश्य ही कराते हैं। मां पीतांबरा शक्ति की कृपा से देश पर आने वाली बहुत सी विपत्तियां टल जाती हैं। इसी प्रकार सन् 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में मां बगलामुखी ने देश की रक्षा की।

सन् 2000 में भी कारगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच पुन: युद्ध हुआ, किंतु हमारे देश के कुछ विशिष्ट साधकों ने मां बगलामुखी की गुप्त रूप से पुन: साधनाएं व यज्ञ किए, जिससे दुश्मनों को मुंह की खानी पड़ी। ऐसा कहा जाता है कि यह यज्ञ तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर यहां कराया गया था।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Temples / Pitambara Temple Datia: पीतांबरा पीठ की देवी मां बगलामुखी, जानें क्यों कहलाती हैं राजसत्ता की देवी?

ट्रेंडिंग वीडियो