3. वीर मारुत बेदी मंदिर, जगन्नाथपुरीः सागर तट पर स्थित जगन्नाथपुरी में बेदी हनुमान का प्राचीन मंदिर है। कहावत है महाप्रभु जगन्नाथ ने समुद्र को नियंत्रित करने के लिए वीर मारुति को यहां नियुक्त किया था। जब हनुमान भी जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन का लाभ नहीं छोड़ पाए तो समुद्र नगर में प्रवेश कर गया। इससे परेशान होकर जगन्नाथ महाप्रभु ने हनुमान को यहां स्वर्ण बेड़ी से आबद्ध कर दिया।
4. हनुमान धारा चित्रकूटः उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में पर्वत पर यह मंदिर है। मंदिर के ऊपर दो कुंड हैं, जिनमें पानी भरा रहता है और यह पानी मूर्ति के ऊपर से बहता भी रहता है। इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं। कहा जाता है भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद एक दिन हनुमानजी ने उनसे कहा कि कोई वैसी जगह बताइये जहां लंका दहन की घटना के कारण उनकी शरीर में व्याप्त ताप मिट सके। तब श्रीराम ने उन्हें इस स्थान की जानकारी दी थी।
5. संकट मोचन हनुमान मंदिरः यह मंदिर शिव नगरी वाराणसी में है। मंदिर के चारों ओर छोटा सा वन है। मान्यता है कि तुलसीदास की तपस्या के कारण यहां यह मूर्ति प्रकट हुई थी।
6. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थानः इस मंदिर के प्रति पूरे देश के हिंदुओं में गहरी आस्था है। जयपुर से करीब 65 किलोमीटर की दूरी पर दौसा जिले के दो पहाड़ियों के बीच मेहंदीपुर में बने मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में दर्शन के लिए पूरे देश से लोग पहुंचते हैं। यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। मान्यता है कि यहां चट्टान में आकृति उभर आई है। इनके चरणों में छोटी सी कुंडी है, जहां का जल कभी खत्म नहीं होता। यहां शिवजी और भैरवजी की भी प्रतिमा है।
7. डुल्या मारुति महाराष्ट्रः पूना के गणेशपेठ में बना यह मंदिर करीब 350 साल पुराना है। यह मूर्ति एक काले पत्थर पर अंकित की गई है। इसकी स्थापना श्रीसमर्थ रामदास स्वामी ने की थी।
8. कष्टभंजन हनुमान मंदिर गुजरातः बोटाद जंक्शन से करीब 12 मील दूरी पर सारंगपुर स्थित है। महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इसकी प्राण प्रतिष्ठा की थी। यह स्वामीनारायण संप्रदाय का एक मात्र हनुमान मंदिर है। किंवदंती है कि प्राण प्रतिष्ठा के समय किसी कारण यह मूर्ति हिलने लगी थी।
9. यंत्रोद्धारक हनुमान हंपीः कर्नाटक के हंपी शहर में स्थित यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि यहीं पर किष्किंधा राज्य था, यहां आज भी अनेक गुफाएं हैं।
10. श्री पंचमुख आजनेय स्वामी तमिलनाडुः तमिलनाडु के कुंभकोणम में श्रीपंचमुख आजनेय स्वामी का मनभावन मठ है। यहां हनुमानजी का पंचमुख रूप में विग्रह स्थापित है। कथाओं के अनुसार त्रेता युग में अहिरावण और महिरावण ने श्रीराम और लक्ष्मणजी को अगवा कर लिया था। तब हनुमानजी ने इसी स्थान से इसीरूप में उनकी खोज शुरू की थी। बाद में दोनों का वध किया। यहां दर्शन से सारे कष्ट, संकट,बंधन खत्म हो जाते हैं।