यह भी पढ़ेः इन तारीखों में जन्में लोग पढ़ लेते हैं दूसरों के दिल की बात, धन कमाने में भी रहते हैं आगे ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (Brahma Temple Pushkar)
राजस्थान के अजमेर जिले में पुष्कर झील के पास स्थित ब्रह्मा मंदिर भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले ब्रह्मा मंदिरों में से एक है। मंदिर के दर्शन करने के लिए यात्री सबसे ज्यादा कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस मंदिर में लाखों लोग आते हैं। जहां वे झील में डुबकी लगाते हैं और देवताओ की पूजा करते हैं। इस मंदिर को काफी खूबसूरत तरीके से बनाया गया है। इस मंदिर में एक मोर पंख भी हैं। जो बेहद सुदंर लगता है।
असोत्रा ब्रह्मा मंदिर, बाड़मेर (Asotra Brahma Temple, Barmer)
असोत्रा मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। यह एक और मंदिर है जो मुख्य रूप से ब्रह्मा को समर्पित है। इस मंदिर को गांव के राजपुरोहितों द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका निर्माण जैसलमेर और जोधपुर के पत्थरों से किया गया है। हालांकि, देवता की मूर्ति संगमरमर से बनी है। इस मंदिर में रोजाना 200 किलो से अधिक अनाज पक्षियों को खिलाया जाता है।
ब्रह्मपुरीश्वरर मंदिर, तिरुपत्तुरी (Brahmapureeswarar Temple, Tirupattur)
ब्रह्मपुरीश्वर मंदिर त्रिची के पास थिरुपत्तूर में स्थित एक मंदिर है। भक्तों का मानना है कि श्री ब्रह्मपुरीश्वर मंदिर, तिरुपत्तूर में भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद प्राप्त करके व्यक्ति अपना भाग्य बदल सकता है। पौराणिक कथाओं मे कहा जाता है कि शिव की पत्नी पार्वती ने एक बार ब्रह्मा को शिव समझ लिया था। इससे शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मा का एक सिर काट दिया और उनकी शक्तियां छीन ली गई। शिव से माफी मांगने के लिए ब्रह्मा तीर्थयात्रा के लिए निकल गए थे। यात्रा के दौरान ब्रह्मा देव थिरुपत्तूर पहुंचे, जहां उन्होंने 12 शिव लिंग स्थापित किए और वहां शिव की पूजा की। उनसे प्रभावित होकर शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त किया और उनकी सभी शक्तियां उन्हें वापस लौटा दी। शिव ने उन्हें मंदिर में पूजने का भी वरदान दिया, तब से इस मंदिर में ब्रह्मा की पूजा की जाती है। यह भी पढ़ेः घर और दुकानों के बाहर क्यों लटकाते हैं नींबू-मिर्च, जानें इसके पीछे की मान्यता ब्रह्मा करमाली मंदिर, पणजी (Brahma Karmali Temple, Panaji)
ब्रह्मा करमाली मंदिर वालपोई से लगभग सात किमी और पणजी से लगभग 60 किमी दूर स्थित है। हालांकि यह मंदिर उतना पुराना नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह मूर्ति लगभग 11वीं शताब्दी की है। ब्रह्मा को समर्पित ये गोवा का एकमात्र मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में रखी गई ब्रह्मा की काली पत्थर की मूर्ति को 20 वीं शताब्दी में गोवा के कैरम्बोलिम में लाया गया था।
आदि ब्रह्मा मंदिर, खोखान, कुल्लू घाटी (Adi Brahma Temple, Khokhan, Kullu Valley)
आदि ब्रह्मा मंदिर भुंतर से लगभग 5 किमी और कुल्लू शहर से 10 किमी दूर खोखन गांव में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह कुल्लू घाटी और ब्यास नदी का शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। भुंतर और कुल्लू शहर और अन्य आस-पास के स्थानों से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि, मंदिर की पूजा मंडी और कुल्लू दोनों जिलों के लोगों द्वारा की जाती थी। हालांकि, जैसे ही दो राज्य विभाजित हुए, मंडी में दूसरी तरफ एक प्रतिकृति बनाई गई, जहां भक्तों को उस मंदिर में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो राज्य की सीमाओं के भीतर था। बौद्ध प्रभाव होने की वजह से इस मंदिर का आदि रखा गया। डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।