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सूरत

मेट्रो का काम + ट्रैफिक लाइट = शहर में जाम

अठवा लाइंस से लेकर मान दरवाजे तक रिंग रोड पर पूरी तरह से जाम, ओवरब्रिज के नीचे भी लगा जाम

सूरतJun 26, 2024 / 02:30 pm

shailendra tiwari

Surat News

पूरे शहर में बेतरतीब मेट्रो के काम और ट्रैफिक लाइट ने बिगाड़े हालात

हर जगह जाम के हालात, अठवा लाइंस से लेकर मान दरवाजे तक हर रोज लंबा जाम

शहर इस समय सबसे ज्यादा ट्रैफिक की परेशानी से जूझ रहा है। एक ओर मेट्रो का ढीला काम है और दूसरी ओर ट्रैफिक लाइट की समस्या। मेट्रो के काम से हो रही परेशानी से निजात मिल नहीं पाई थी, उससे पहले बिना तैयारी कि ट्रैफिक लाइट शुरू कर दीं। जिससे लोगों को शहर के भीतर दोहरे जाम से जूझना पड़ रहा है। मेट्रो की वजह से शहर बॉटलनेक बना है और लाइट की वजह से उसमें फंसा हुआ है। जहां भी ट्रैफिक लाइट जल रही है, वहां पर जाम लग रहा है।अठवा लाइंस से लेकर मान दरवाजे तक जाम
अठवा लाइंस से लेकर मान दरवाजे तक रिंग रोड है, चार किलोमीटर का सफर है। इस रास्ते पर फ्लाइओवर और उसके नीचे भी सड़क है। दोहरा रास्ता होने के बाद भी यहां पर रोज जाम लगा रहता है। उसका सबसे बड़ा कारण धीमी गति से चल रहा मेट्रो का काम है। मेट्रो कंपनी का कहीं भी पिलर का काम शुरू हो जाता है। पुराने काम को खत्म किए बिना नए काम की तैयारी शुरू हो जाती है। अधूरे काम से पूरे रास्ते बॉटलनेक बन गए हैं। जिन पर जाम लग रहा है। मंगलवार को यहां पर फ्लाइओवर के नीचे और ऊपर लगे जाम से लोगों को दो किलोमीटर का सफर पूरा करने में एक घंटे का तक समय लगा।

वराछा और भटार में भी लोग परेशान

वराछा और भटार क्षेत्र में जारी मेट्रो रेल के कार्य यहां पर भी बैरिकट करने की वजह से आधी से भी कम सड़क का लोग उपयोग कर पा रहा है। खुदाई के कारण भी स़ड़के खस्ताहाल हो चुकी है, जिससे वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, मानसून के दौरान यहां हालात और भी बिगड सकते हैं।

मेट्रो के काम की स्पीड धीमी क्यों?

मेट्रो के काम की रफ्तार बढ़ने के बजाय लगातार धीमी होती जा रही है। रिंग रोड पर आधे-अधूरे पिलर खड़े छोड़ दिए गए हैं। उनके आसपास बैरिकेटिंग लगाकर आधा रास्ता बंद कर दिया गया है। जिससे यह रिंग रोड पूरी तरह से बॉटलनेक में बदल गई है। अब बॉटलनेक ही जाम की बड़ी वजह बन रहा है।जिम्मेदार कौन, कंपनी या अफसर?
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मेट्रो के धीमे काम को लेकर नगर निगम या दूसरे अफसरों ने कोई फिक्र नहीं दिखाई है। मेट्रो का काम कर रही कंपनी से भी अब तक सवाल-जवाब नहीं किया गया है। न ही उन्हें ट्रैफिक को बेहतर तरीके से चलाने के लिए सहयोग करने की जिम्मेदारी दी गई है। न ही उनके साथ ट्रैफिक को बेहतर तरीके से चलाने की उनकी भूमिका तय की गई है। इसकी वजह से हर जगह पर मेट्रो कंपनी के बैरिकेटिंग लगे हुए हैं, जिससे पूरा ट्रैफिक प्रभावित हो रहा है।

एक्सपर्ट व्यूटाइमफ्रेम बने, जिम्मेदारी तय हो

मेगा प्रोजेक्ट का टाइमफ्रेम तय हो, कन्स्ट्रक्शन प्लान होना चाहिए। इसमें यह भी शामिल होना चाहिए कि बॉटलनेक कितने दिनों के भीतर खत्म करेंगे। छोटे स्पान पर तेजी से काम करना चाहिए, जिससे लोगों को असुविधा कम हो। अब 8-9 स्पॉन के फ्लाइओवर एक साल में बनकर चलने लगते हैं। ठेकेदार कंपनियों को और ज्यादा जवाबदेह बनाने की जरूरत है।
– भीष्म कुमार चुग, पूर्व महानिदेशक

सीपीडब्ल्यूडी, केंद्र सरकार

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