योगेश ने उन्होंने बिक्री के लिए एक वेबसाइट पर हीरे की जानकारी पोस्ट की थी, जिसे देखकर हितेश व उसके साथी ने दलालों के जरिए चिराग से संपर्क किया। चिराग का पुत्र अक्षत 25 जून को योगेश से हीरा लेकर हितेश व ईश्वर से मिला। हितेश व ईश्वर ने कुछ समय तक हीरा अपने हाथ में रख कर सौदे की बात की और हीरा टेबल पर ही रख दिया। उसके बाद हितेश रुपए लेकर आने की बात कहकर वहां से चला गया। जब काफी समय तक वह लौट कर नहीं आया तो अक्षत को संदेह हुआ। अक्षत ने टेबल पर रखे हीरे की जांच तो पता चला कि वह असली हीरा नहीं था। उसी की साइज का लैबग्रोन (सीवीडी) हीरा था।
10.08 कैरेट का था हीरा
मामले की जांच कर रहे पुलिस निरीक्षक एचएम चौहाण ने बताया कि बदला गया हीरा 10.08 कैरेट का था। यह दुर्लभ हीरों की श्रेणी में तो नहीं आता है, लेकिन इतनी बड़ी साइज के हीरों का भारत में बाजार नहीं है। ऐसे बड़े हीरे आम तौर पर विदेश में एक्सपोर्ट होते हैं।