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सूरत

GANAPATI MAHOTSAV: आस्था के आराध्य गणपति महाराज विराजे

-पंडालों में दर्शन के लिए उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़, जगह-जगह सेवाकार्यों के भी होंगे कई आयोजन

सूरतAug 31, 2022 / 08:43 pm

Dinesh Bhardwaj

GANAPATI MAHOTSAV: आस्था के आराध्य गणपति महाराज विराजे

GANAPATI MAHOTSAV: आस्था के आराध्य गणपति महाराज विराजे

सूरत. दस दिवसीय गणपति महोत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी के अवसर पर बुधवार से सूरत समेत दक्षिण गुजरात में हर्षोल्लास के माहौल में हो गई। इस दौरान ज्यादातर आयोजकों ने अभिजित मुहूर्त में गणपति प्रतिमाएं पंडाल, सोसायटी-अपार्टमेंट व घरों में विधिविधान से प्रतिष्ठापित की। पंडालों में गणपति दर्शन के लिए दस दिवसीय महोत्सव के दौरान रोजाना रात को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी वहीं, जगह-जगह सेवा गतिविधियां भी आयोजकों की ओर से सक्रिय रहेगी।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के अवसर पर बुधवार को प्रथम पूज्य गौरीसुत गणेशजी महाराज हजारों पंडाल में मंत्रों की गूंज के साथ विराजमान हो गए। सर्वाधिक प्रतिमाओं की स्थापना सुबह अभिजित व विशेष मुहूर्त के दौरान की गई। शहरभर में आकर्षक रूप से सजे पंडाल में सुबह बाजे-गाजे के साथ गणपति, गोरी-गणेश, मंगलमूर्ति प्रतिमाओं को लेकर आयोजक मंडल के सदस्य एवं अन्य श्रद्धालु पहुंचे और विघ्नविनायक की भाव-भक्ति के माहौल में स्थापना की गई। इस दौरान पंडाल में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई और पंडितों ने पृथ्वी पूजन, वरुण पूजन, गणपति पूजन, नवग्रह, षोड़षमात्रिका पूजन के अलावा अन्य देवी-देवताओं की पूजा भी यजमान और आयोजकों से करवाई व बाद में सामूहिक आरती की गई। वहीं, शाम ढलने के बाद शहर के प्रमुख आयोजक मंडलों की ओर से स्थापित गणपति प्रतिमा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के पहुंचने का दौर भी बुधवार से ही शुरू हो गया।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी बुधवार से गणपति महोत्सव की शुरुआत हो गई और इस मौके पर शहर के 50 साल पुराने दाळियाशेरी श्रीसार्वजनिक उत्सव मंडल की ओर से गणपति शोभायात्रा निकाली गई। यात्रा में 40 किलो चांदी की प्रतिमा भी शामिल रही। दाळियाशेरी के अलावा अन्य कई मंडलों की ओर से भी गणेश चतुर्थी बुधवार को प्रतिमाओं की शोभायात्रा निकाली गई।

-सुबह से दोपहर तक चला दौर

बुधवार को गणपति प्रतिमा की स्थापना के लिए ज्यादातर पंडाल, सोसायटी-अपार्टमेंट व गली-मोहल्लों में सुबह 11 बजकर 2 मिनट से दोपहर 1 बजकर 35 मिनट तक के शुभ मुहूर्त को चुना गया। इसके अलावा दोपहर में विजय मुहूर्त 2 बजकर 3 मिनट से 2 बजकर 51 मिनट तक रहा और इसमें भी कई जगहों पर गणपति प्रतिमाएं श्रद्धालुओं ने विधिविधान से स्थापित की है। बुधवार को चित्रा नक्षत्र, शुक्ल योग, बालव करण योग के विशेष योग में गणपति प्रतिमाओं के साथ मंगलमूर्ति व गौरी-गणेश प्रतिमाओं की विधिविधान से स्थापना पंडितों की उपस्थिति में की गई।



अब की बार मकई से बने गणपति स्थापित


सूरत. प्रत्येक वर्ष गणपति महोत्सव के दौरान कुछ हटकर गणपति प्रतिमा बनाने व स्थापित करने वाली डॉ. अदिति मित्तल ने इस बार ढाई सौ से ज्यादा मकई से गणपति प्रतिमा बनाकर उधना-मगदल्ला रोड स्थित वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के एमपी थिएटर में स्थापित की है। इससे पहले सूखे मेवे, तरबूज, नारियल आदि से गणपति प्रतिमा बनाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉड्र्स व गुजरात बुक ऑफ रिकॉड्र्स में नाम दर्ज करवा चुकी पेशे से चिकित्सक डॉ. अदिति मित्तल ने इस बार मकई से गणपति बनाए हैं। डॉ. मित्तल बताती हैं कि 50 किलो मकई से 5 फीट ऊंची गणपति प्रतिमा इस बार गणपति महोत्सव के लिए बनाई गई है और मकई के रेशों से ही मूषकराज का भी निर्माण किया गया। अनंत चतुर्दशी को गणपति विसर्जन के बाद हर बार की तरह इस बार भी मकई का प्रसाद जरुरतमंद लोगों को वितरित किया जाएगा। आज के युवा वर्ग को धर्म एवं प्रकृति के महत्व को बताने के लिए इस बार मकई निर्मित गणपति प्रतिमा वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय में स्थापित की गई है। मूर्ति का विसर्जन 9 सितम्बर अनंत चतुर्दशी को पूरे विधि-विधान के साथ किया जाएगा। इससे पूर्व मंगलवार को शाही तरीके से प्रतिमा को यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों द्वारा लाया गया और बुधवार सुबह पूजा करके स्थापना की गई।
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इकोफ्रेंडली प्रतिमाएं दी भेंट


सूरत. गणपति महोत्सव के दौरान प्रकृति के प्रति लोगों का लगाव बढ़ाने के उद्देश्य से होप चेरिटेबल ट्रस्ट ने सोसायटी-अपार्टमेंट में स्थापना के लिए इकोफ्रेंडली प्रतिमाएं भेंट दी गई है। ट्रस्ट के जिग्नेश गांधी ने बताया कि पर्यावरण व तापी नदी को नुकसान से बचाने के लिए संस्था गत आठ वर्षों से गणपति महोत्सव के दौरान इकोफ्रेंडली प्रतिमाएं लोगों को भेंट देकर स्थापित करवा रही है। दो फीट की इन प्रतिमाओं की स्थापना के बाद घर, सोसायटी, गार्डन व गमले में विसर्जन कर पौधारोपण भी किया जा सकता है।
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