सूत्रों के मुताबिक, रूस पर पर तात्कालिक प्रतिबंधों के बाद भी घूम फिर कर अन्य सोर्स से कम मात्रा में ही सही, लेकिन अलरोसा डायमंड मिल रहा था। जिससे काम चल रहा था। प्रतिबंध लगाने वालों के सामने संकट यह था कि कैसे पता लगे कि विश्व में जो बिक रहा है वह प्रतिबंधित रूस के खदानों के ही हीरे हैं! इन्हें पहचानने के लिए कोई सिस्टम नहीं था। इसलिए काम चल रहा था। अब जापान में हुई जी-7 देशों की मीटिंग के बाद अधिकृत रूप से कहा गया कि ***** रूस म
की खदानों के हीरों को प्रतिबंधित करने के लिए ट्रेसिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
– जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन विपुल शाह ने पत्रिका को बताया कि अब रूसी हीरों की पहचान के लिए जी-7 देश ट्रेसिएबिलिटी टेक्निक अपना सकते हैं। इससे ट्रेस किया जा सकता है कि हीरा कहां से आया है। इससे
भारत के हीरा व्यापारी जी-7 देशों में रूसी हीरे नहीं बेच पाएंगे।
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बाधा का एक कारण यह भी :
रूस यूक्रेन युद्ध के बाद से ही वर्ष 2022 में पश्चिमी देशों ने रूस को स्विफ्ट इंटरनेशनल पेमेंट नेटवर्क से बाहर कर दिया था। उसके बाद से सूरत सहित भारत में रूसी हीरों की आपूर्ति कम हो गई थी। अब 20 रूसी बैंकों ने रुपये में भुगतान के लिए भारत में वोस्ट्रो अकाउंट खुलवाए हैं, लेकिन वह भी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं और वैध तरीके से नगद भुगतान हो नहीं सकता।
– अप्रैल 2022 और फरवरी 2023 के बीच रत्न और आभूषणों का कुल सकल निर्यात 34.86 अरब डॉलर का रहा।
– 2021 में निर्यात किए गए कुल कट और पॉलिश्ड हीरे का लगभग 33 प्रतिशत निर्यात अकेले भारत ने किया है।
– स्विटजरलैंड के बाद अमेरिका को सबसे ज्यादा डायमंड और ज्वेलरी निर्यात की जाती है।