भैयाथान। सूरजपुर जिले के भैयाथान ब्लॉक मुख्यालय से 10-12 किलोमीटर दूर ग्राम बड़सरा, बसकर, कुधरी, धरसेड़ी सहित आसपास के आधा दर्जन गांवों में पिछले तीन-चार दिन से ग्रामीण बाघ के विचरण (Tiger movement) की बात फैलने से दहशत में जीने को मजबूर है। यहां तक कि ग्रामीणों ने रात में घर से निकलना तक बंद कर दिया है और न ही जंगल जा रहे हैं। वहीं वन विभाग के अधिकारी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि वह बाघ ही है या अन्य दूसरा कोई वन्य जीव। इससे तो यही लग रहा है कि वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी खुद कन्फ्यूजन में हंै।
सूरजपुर वनमंडल के ओडग़ी रेंज के गिद्धाझरिया जंगल में शुक्रवार को ग्राम बड़सरा निवासी सुखलाल के गाय का कथित रूप से बाघ द्वारा शिकार किए जाने की घटना के बाद ग्रामीण और भी दहशत में आ गए हैं। घटना को लेकर वन विभाग का अमला अब भी वन्य जीव होने का राग अलाप रहा है।
शनिवार को घटनास्थल का निरीक्षण किए जाने के बाद वन विभाग ने बाघ की मौजूदगी को साफ नकारते हुए कहा कि गाय का शिकार किसी अन्य वन्य जीव द्वारा किया गया है। जबकि पूर्व में बाघ के पंजों के निशान भी इस क्षेत्र में मिल चुके हैं व एक माह में बड़सरा, बसकर, कुधरीपारा के पशुपालकों का एक दर्जन से अधिक मवेशियों को बाघ ने शिकार किया है जिसे वन विभाग मानने को तैयार नहीं हैं।
जबकि कोरिया वन विभाग की टीम एक पखवाड़े पूर्व यहीं से गए बाघ को टेमरी जंगल में कैमरा लगाकर उसके विचरण की पुष्टि की थी।
Tiger movement: मवेशी मालिक ने सुनाया आंखों देखा हाल
बड़सरा के रहने वाले सुखलाल सिंह ने बताया कि मैं हर रोज की तरह शुक्रवार शाम अपने मवेशियों को लेकर आ रहा था। इसी दौरान बाघ के दहाडऩे की आवाज मुझे सुनाई दी। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता कि बाघ ने गाय पर हमला कर दिया। बाघ गाय को अपने जबड़े में पकडक़र घसीटता हुआ भागने लगा और सभी मवेशी चिल्लाते हुए भागने लगे, तभी मैंने भी शोर मचाया तो बाघ मृत गाय को छोड़ भागा।
इस हादसे से मैं काफी घबरा गया था। मुझे डर लग रहा था कि कहीं बाघ मुझ पर ही हमला न कर दे। इसलिए मैं जंगल से भागकर सीधे घर आ गया और परिजन एवं ग्रामीणों को हादसे की खबर दी। फिर चार पांच लोग जंगल गए तो देखा मृत गाय वहां नही है। एक माह पूर्व पांच गायों को बाघ ने अपना शिकार बनाया था। आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला है।
इधर बाघ के हमले की सूचना जनपद सदस्य सुनील साहू ने वन विभाग के अधिकारियों को दी। तब दूसरे दिन वन विभाग के अधिकारी आमाखोखा पहुंच ग्रामीणों को लेकर गिद्धा झरिया जंगल गए, जहां बाघ के पदचिन्ह व गाय के मृत शरीर के अवशेष का पंचनामा बनाया।
वन विभाग के अधिकारियों ने वैसे तो अधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं की है, लेकिन विभाग गाय के शिकार के पीछे सियार के होने की आशंका जता रहे हंै। वैसे अधिकारिक रूप से किसी वन्य जीव द्वारा ही शिकार होना बताया गया है। हालांकि जिस तरह से गांव के आसपास बाघ के पंजों के निशान मिले हैं और ग्रामीणों द्वारा जो पुष्टि की जा रही है उससे बाघ के द्वारा शिकार किए जाने की संभावना ज्यादा नजर आ रही है।
यहीं कारण है कि ग्रामीण पिछले एक सप्ताह से दहशत में है। ओडग़ी फॉरेस्ट रेंज के एसडीओ मनोज कुमार शाह का कहना है कि हमें ओडगी परिक्षेत्र में बाघ के आने की सूचना मिली थी लेकिन वह अब कोरिया जिला चला गया है। ओडगी वन परिक्षेत्र में गायों का शिकार किसी वन्य जीव द्वारा किया गया है।
बीते एक माह से ओडग़ी परिक्षेत्र मे रहा है बाघ का मूवमेंट
वन परिक्षेत्र ओडग़ी अतंर्गत ग्राम धरसेड़ी, कुधरी, सांवारांवा, गोविंदगढ़, बड़सरा व बसकर के समीप जंगल में बाघ के विचरण की सूचना पिछले एक डेढ़ माह से रही है जहां एक दर्जन से ज्यादा मवेशियों को बाघ ने अपना शिकार बनाया। वहीं ओडग़ी वन विभाग बाघ की मौजूदगी को लगातार नकारता रहा है।
ये अलग बात है कोरिया के टेमरी जंगल में जाते ही वहां के वन विभाग ने कैमरा लगाकर बाघ की फुटेज लेकर उसके होने की पुष्टि की। एक माह पूर्व बड़सरा निवासी मनोज यादव के पांच गायों को, आमाखोखा निवासी सुखलाल के चार गायों को बाघ ने अपना शिकार बनाया था। वहीं तीन दिन पहले एक गाय का शिकार किया है।
कुधरी, धरसेड़ी के पास बाघ ने दो गायों का शिकार एक दिन पूर्व किया है, जहां बाघ के फुट प्रिंट्स मिले हैं। मवेशियों के शिकार से क्षेत्र के ग्रामीण काफी दहशत में हैं। जंगल जाना बंद कर दिया है। जंगल के निकट के ग्रामीणों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है। वर्तमान में बरपानी जंगल के आसपास ही बाघ की लोकेशन बताई जा रही है।
ग्रामीणों को जंगल न जाने की समझाइश
सूरजपुर डीएफओ पंकज कमल का कहना है कि कोरिया से सटे जंगल क्षेत्र में बाघ का मूवमेंट है। ग्रामीणों को जंगल न जाने की समझाइश लगातार दी जा रही है। पशुधन नुकसान होने पर पंचनामा तैयार किया जा रहा ताकि मुआवजा मिले।
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