स्वामी आत्मानंद स्कूल भुवनेश्वरपुर के प्राचार्य यादवेंद्र दुबे ने जिले के अधिकारियों पर उन्हें कठपुतली की तरह प्रयोग करने के आरोप लगाए हैं।उन्होंने कलेक्टर को दिए अपने इस्तीफा पत्र में कहा है कि हमें कई तरह के अधिकारों से अवगत कराते हुए उन शिक्षकों पर कार्यवाही के निर्देश दिए थे जो शिक्षक गुणवत्ता न दें, अराजक हों, अनुशासनहीन हों। मैंने उपलब्ध संसाधनों के आधार पर अपना श्रेष्ठ देने का अधिकताम प्रयास किया।
सर्वप्रथम स्वामी आत्मानन्द भुवनेश्वरपुर में उपद्रवी तत्वों की घुसपैठ बंद कराई। पूरी निष्पक्षता व पारदर्शिता से प्रवेश प्रक्रिया सम्पन्न कराया। छात्र अनुशासन स्थापित करने का प्रयास किया तथा आंतरिक अनुशासन के लिए भी प्रयासरत रहा लेकिन उनके किसी भी काम में अधिकारियों का सहयोग नहीं मिला।
जिले के अधिकारी उन्हें एक कठपुतली की तरह प्रयोग कर रहे हैं और आगे भी करना चाह रहे हैं। प्राचार्य के तौर पर उनके खुद के अधिकार हैं लेकिन वे उनका प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने अपने इस्तीफे में कहा है कि अधिकारविहीन कठपुतली बन व्यवस्था को संचालित करना मेरे वश में नहीं है।
उन्होंने उनके मूल पद पर वापस भेजने का निवेदन किया है। उनके इस्तीफे पर क्या निर्णय हुआ, यह तो स्पष्ट नहीं हो सका लेकिन इस मामले से यह तो स्पष्ट हो गया कि जिले में शिक्षा विभाग में अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं।
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कार्यवाही पर मिलती है धमकीअपने पत्र में यादवेन्द्र दुबे ने कहा है कि अनुशासनहीन शिक्षकों को कार्यमुक्त करने उन्होंने 3 बार प्रस्ताव भेजा था, लेकिन किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई। उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों पर कार्यवाही करने पर उन्हें धमकी मिलती है। उन्हें धमकी देने वाले, शासकीय कार्य को बाधित करने वाले बाह्य तत्वों पर भी किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं की गई, न ही उन्हें चेतावनी दी गई।