बताया जा रहा है कि 20 माह पहले सामने आए खदान के स्टॉक से 2700 टन कोयला शॉर्टेज मामले में शिकायत के बाद इसकी विभागीय जांच चल रही थी। बाद में इसमें कंपनी मुख्यालय की सतर्कता टीम भी जांच की लेकिन जांच के नाम पर विजिलेंस द्वारा मामला लटकाए रखने व जांच को दबाने की पुन: हुई शिकायत के बाद गत दिनों 6 जनवरी को सीबीआई रायपुर के आधा दर्जन केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के सदस्यों ने बिश्रामपुर में दो दिनों तक रुककर खदान के स्टॉक सहित कागजातों की जांच पड़ताल की थी।
जांच के बाद खदान से कोयला स्टॉक से जुड़े लगभग विभिन्न फाइल से चार हजार से अधिक पन्नों की जिराक्स कॉपी साथ ले गए थे। अब सवा महीने बाद फिर सीबीआई के अधिकारी इसी मामले की जांच में यहां पहुंचे हुए हैं। सीबीआई के अधिकारी रविवार से यहां जांच में जुटे हैं।
बताया जा रहा है कि क्षेत्र के ट्रांजिट हाउस में रविवार को पहुंची टीम के दो अधिकारी जब्त दस्तावेजी सबूतों की क्वैरी कर रहे हैं। साथ ही मामले के समय पदस्थ जिम्मेदार अधिकारियों से अलग-अलग पूछताछ कर टीम सबूत जुटाने में लगी हुई है। घटना के समय खदान के मैनेजर फिरोज अंसारी को भी टीम ने कई बार तलब कर उनका बयान दर्ज किया है।
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आमने-सामने बैठाकर पूछताछखबर है कि अब अधिकारियों को आमने-सामने बिठाकर उनके द्वारा दर्ज कराए गए बयानों की टीम तस्दीक करने जा रही है। पिछले तीन दिनों से सीबीआई के क्षेत्र में मौजूद रहने से संबंधित अधिकारी सकते में बताए जा रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घोटाले के मामले में अब मैनेजर सहित दोषी अधिकारियों के खिलाफ कभी भी एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है।
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चोरी की आड़ में कराई गई है गड़बड़ीबताया जा रहा है कि खदान के तत्कालिक मैनेजर व सब एरिया मैनेजर (अब रिटायर) की मिलीभगत से इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया है। बाद में मामला सामने आने के बाद खान प्रबंधक ने डेली उत्पादन की अंडर रिपोर्टिंग सहित कोयले में बड़ी मात्रा में काली मिट्टी व सेल मिला भरपाई की कोशिश की थी।
मामला संज्ञान में आने के बाद इस घोटाले से जद में आए अधिकारियों को दूसरे क्षेत्रों में तबादला कर मामले को कंपनी प्रबंधन ने काफी हद तक दबा दिया था, लेकिन सीबीआई की एन्ट्री ने मामले को उजागर कर दिया है। अब इसमें शामिल अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही समेत एफआईआर दर्ज होने की तलवार लटक गई है।