जिला पंचायत उपाध्यक्ष नरेश राजवाड़े ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि वर्ष 2018 में यहां सेंट्रल बैंक (Central bank scam) में तत्कालीन शाखा प्रबंधक आलोक गुप्ता, सुरेन्द मरांडी आदि अन्य कर्मचारियों ने मिल कर योजनाबद्ध तरीके से विभिन्न शासकीय, समूह, पंचायत व निजी खातों से फर्जी प्रस्ताव आहरण पत्र तैयार कर करोड़ों रुपए आहरित कर लिए हैं। इस मामले में बैंक प्रबंधन सहित अनेक लोग गिरफ्तार किए जा चुके है।
परंतु जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने दूसरा सवाल उठाते हुए कहा है कि अब इस मामले में बैंक कर्मचारियों को बचाने का खेल चल रहा है। उनकी जगह पर बगैर किसी जांच के ऋण व खाताधारकों को फंसाया जा रहा है। उन्होंने बताया है कि कई गरीब व कम पढ़े लिखे खाताधारकों को उक्त घोटाले में अनावश्यक परेशान व प्रताडि़त किया जा रहा है।
उन्होंने पुलिस पर भी निष्पक्ष जांच नही करने का आरोप लगाया है, जिससे समूचे क्षेत्र में व्यापक असंतोष व रोष की स्थिति है। कई खाताधारक अपनी राशि के लिये आज 2 वर्ष बाद भी बगैर किसी गलती के लिए दर दर भटक रहे हैं।
स्थानीय पुलिस की जांच पर उठाए सवाल
जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को दिए पत्र में कहा है कि उक्त घोटाला बड़े पैमाने पर हुआ है जिसकी जांच स्थानीय पुलिस के बूते की बात नही है और इसकी सूक्ष्म व निष्पक्ष जांच जरूरी है, जिससे दूध का दूध व पानी का पानी हो सके।
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस घोटाले की जांच हेतु उच्च स्तरीय जांच दल गठित करने व बैंक कर्मचारियों का नार्को टेस्ट कराने की मांग की है ताकि कोई निर्दोष न फंसे ओर दोषी बचे भी न। इसकी प्रतिलिपि उन्होंने कलेक्टर व एसपी को भी दी है।