दरअसल भारतीय वायुसेना और यूपीडा के संयुक्त रूप से बनाए जाने वाले इस एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य अंतिम पड़ाव पर है। जिला प्रशासन के अनुसार अगस्त माह में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर राफेल, सुखोई जैसे युद्धक व मालवाहक विमान उतारे जाने की तैयारी लगभग पूरी है। लखनऊ से गाजीपुर तक जाने वाले 340 किमी लम्बे सिक्स लेन प्रोजेक्ट से बिजनेस कॉरिडोर विकसित होंगे। युद्ध और आपदा के समय इसका उपयोग किया जा सकता है।
इंजीनियरों के अनुसार युद्ध की स्थिति में विमानों को उतारने के लिए ऐसे एक्सप्रेस वे का उपयोग किया जा सकता है। देश मे किसी भी आपदा प्रबंधन के दौरान यह एयरस्ट्रिप बहुत उपयोगी होती है। बता दें कि 340 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के लिए 12 हजार करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश सरकार ने जारी किए हैं। 4.75 किलोमीटर लंबा फाइटर प्लेन का रनवे सुलतानपुर जिले के कूरेभार विकासखंड में तैयार किया गया है। 1.7 करोड़ रुपए हवाई पट्टी के लिए खर्च किए जा रहे हैं। जिसकी निगरानी वायुसेना के एयर मार्शल और यूपीडा के इंजीनियर कर रहे हैं।170 करोड़ का हवाई पट्टी यानी एयरस्ट्रिप 99% तैयार कर ली गई है।
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आठ कम्पनियां कर रहीं पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का निर्माण
340 किमी लम्बे इस पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के निर्माण में 8 निर्माण इकाइयों को लगाया गया था। एक्सप्रेस वे के तेजी से निर्माण कार्य करने और मजबूती बेमिसाल देने के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने इसे 8 पैकेज में बांट दिया है। गायत्री कंस्ट्रक्शन को पहला और दूसरा पैकेज, एफ्को को तीसरा, जीआर इंफ्रा कंपनी को चौथा और पांचवां, छठां पीएनसी इंफ्रा को और सातवां जीआर इंफ्रा को व आठवां ओरिएंटल को पैकेज प्रदान किया गया है।