गुरु व शुक्र ग्रहों के अस्त होने से विवाह समारोहों पर अप्रेल के अंत से लगा विराम 29 जून को समाप्त हो जाएगा। गुरु ग्रह का उदय हो चुका है, अब 29 जून को शुक्रोदय भी होगा। शुक्रोदय होने के बाद शहनाइयों की गूंज सुनाई देने लगेगी। इसके बाद सभी शुभ और मांगलिक कार्य शादी, विवाह नामकरण, जनेऊ, मुंडन, गृहप्रवेश, भूमि पूजन जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएगी। 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के बाद चार माह तक विवाह नहीं होंगे। ज्योतिषाचार्य कृष्णदास ने बताया कि शुक्र ग्रह का उदय 29 जून की रात 9.34 बजे पश्चिम दिशा में होगा। इसके बाद जुलाई में 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16 जुलाई तक विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।
विवाह के लिए गुरु, शुक्रोदय जरूरी ज्योतिषाचार्य कृष्णदास के अनुसार विवाह के लग्न मुहूर्त देखते समय गुरु और शुक्र ग्रह का अच्छी स्थिति में होना जरूरी होता है। इनमें से एक भी ग्रह अस्त होने या खराब स्थिति में होने पर उस तिथि में विवाह का मुहूर्त नहीं बनता है। देवगुरु बृहस्पति और शुक्र देव को विवाह के लिए कारक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु और शुक्र ग्रह मजबूत स्थिति में होते हैं तो जल्द शादी के योग बनते हैं। इन दोनों ग्रहों के कमजोर होने पर विवाह में बाधा आने लगती है। यह भी माना जाता है कि गुरु और शुक्रतारा के अस्त होने पर विवाह नहीं किया जाता है। इस बार गुरु ग्रह 3 मई को अस्त हुए थे। इसके चलते ये सभी मांगलिक कार्य नहीं हो रहे थे। गुरु ग्रह 2 जून को उदय हो चुके हैं। वहीं शुक्र ग्रह 29 अप्रेल को अस्त हुए थे। 29 जून को शुक्रोदय होगा। इसके बाद शुक्र की बाल्यावस्था समाप्त होने पर 9 जुलाई से विवाह आरभ हो जाएंगे।
17 जुलाई को देवशयनी एकादशी ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 17 जुलाई से चातुर्मास शुरू हो जाएंगे। इसलिए 9 से 15 जुलाई के बीच ही मांगलिक कार्यक्रम के लिए शुभ मुहूर्त हैं। क्योंकि 15 जुलाई को भड़ली नवमी है और 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। शास्त्रों में कहा गया है कि देवशयनी एकादशी के दिन से 4 महीने के लिए भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी,देवता विश्राम के लिए चले जाते हैं। हिंदू धर्म में इन 4 महीनों को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह 4 महीने सावन, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक मास है। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्यक्रम नहीं होते।