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बुरहानपुर

Ganesh Chaturthi: केले के रेशों से बने गणपति बप्पा ने किया अट्रेक्ट, देखकर आप भी रह जाएंगे हैरान

Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी पर बुरहानपुर में केला, केले के पेड़, केले के फायबर, प्लास के पत्ते का इस्तेमाल करके गणेश जी की सूंदर प्रतिमा को सिर्फ 5 हजार के खर्च में बनाया है।

बुरहानपुरSep 09, 2024 / 03:51 pm

Sanjana Kumar

ganesh chaturthi
Ganesh Chaturthi : देशभर में इस समय गणेश उत्सव की धूम है। हर घर में बप्पा का आगमन हो चुका है। जगह-जगह बप्पा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। पिछले 9 साल से लगातार इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा को लेकर सुर्खियों में बना रहने वाला बुरहानपुर का श्रीराम नवयुवक गणेश मंडल एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
प्रदूषण रोकने का संदेश देते हुए इस मंडल ने इस साल केले के पत्तों (Banana Leaves) और केले के रेशे (Banana Fibres) से बनी गणेश प्रतिमा स्थापित की है।

बुरहानपुर के नागझिरी में दस दिवसीय गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। जहां विराजमान बप्पा ने लोगों का ध्यान अपनी और खींच लिया है।
यहां केले और केले के पत्तों के साथ ही केले के रेशों से बनी विघ्नहर्ता की सुंदर प्रतिमा तैयार कर स्थापित की गई है। इस प्रतीमा को श्रीराम नवयुवक गणेश मंडल के दो कलाकारों ने बनाया है।
ये मंडल पिछले 22 साल से लगातार बप्पा की अनोखी और आकर्षक मूर्तियां बनाकर चर्चा में आ जाता है। मंडल द्वारा स्थापित गणेश प्रतिमा की सबसे बड़ी खासियत ये होती है कि ये इको फ्रेंडली होती हैं।

केले के पत्तों और रेशों से बनी है बप्पा की प्रतिमा

मंडल के कलाकारों ने केले और केले के पत्तों, केले के फायबर यानी रेशों के साथ ही पलाश के पत्तों का इस्तेमाल करके गणेश जी की ये सुंदर प्रतिमा तैयार की है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसे बनाने में भी ज्यादा खर्च नहीं आया है। ये प्रतिमा तैयार करने में मंडल को केवल 5 हजार रुपए खर्च करने पड़े हैं।
ये मंडल जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण की साथ ही फिजूल खर्च रोकने का भी संदेश देता है। मूर्तिकार रूपेश प्रजापति का कहना है कि केले के रेशों से बनी यह प्रतिमा न केवल पर्यावरण के प्रति जागरुकता फैलाती है, बल्कि भक्तों के बीच भी इसका विशेष स्थान है।

9 साल से इको फ्रेंडली बप्पा

श्रीराम नवयुवक गणेश मंडल दो दसक से भी ज्यादा समय से प्रतिमा बनाने के काम कर रही है लेकिन ये पिछले 9 सालों से लगातार पर्यावरण का ध्यान रखते हुए बप्पा की ईको फ्रेंडली प्रतिमा निर्मित करती है। इस मंडल ने बर्तन, गन्ना, मिट्टी, धाँगे, फूल-फल, स्टेशनरी के सामानों से कई प्रतिमाए बनाई है। इसके जरिए ये हर साल जल प्रदुषण को रोकने और पर्यावरण को बचने का संदेश लोगों को देती है।

यहां भी विराजे इको-फ्रेंडली बप्पा

बता दें कि बैतूल जिले के रावत परिवार द्वारा पिछले 364 वर्षो से ईको-फ्रेंडली गणेश (Echo Friendly Ganesha) प्रतिमा बनाकर स्थापित की जाती है। बिना किसी कैमिकल का इस्तेमाल किए ये परिवार प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करती है।
खास तरह की हरी मिट्टी, फलों, सब्जियों से घर पर ही रंगों का निर्माण करती है। इसके दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु आते हैं। खास बात यह भी है कि बप्पा का श्रृंगार बरसों पुराने पुश्तैनी गहनों से किया जाता है।

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