इस कार्यक्रम के जिला समन्वयक विक्रम ज्याणी ने बताया कि प्रशासन व पुलिस विभाग की ओर से जिले में नशा मुक्ति जागरुकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत कार्रवाई के साथ ही नुक्कड़ नाटक, जागरुकता कार्यक्रमों के जरिए लोगों को नशे से दूर रहने, परिवार में किसी को नशा नहीं करने तथा नशा करने वालों के बारे में जानकारी देने आदि की शपथ दिलाई जा रही है।
पुलिस के आंख, कान बनेंगे सीमा रक्षक
– सीमा रक्षक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों में नशे के खिलाफ लोगों को जागरुक करेंगे। युवाओं से नशे से दूर रहने के लिए जागरुक करते रहेंगे। अपने-अपने कार्य को करते हुए इलाके में होने वाली संदिग्ध गतिविधियों व संदिग्ध व्यक्तियों, माहौल खराब करने वालों आदि की सूचना भी पुलिस अधिकारियों को देंगे। इसके अलावा गांव में सफाई व्यवस्था कराएंगे, पौधरोपण कराएंगे, इलाके में निगरानी रखेंगे। इसके अलावा समाज के अच्छे लोगों को अपने से जोड़ते रहेंगे।
चुप नहीं रहें, बुराई रोकें
– सीमा रक्षकों की ओर से ग्रामीणों को जागरुक किया जाएगा कि वे चुप नहीं रहें और बुराई को रोकने को बोलें। जिले को नशा मुक्त करने के लिए सबसे पहले अपने परिवार, अपनी गली, अपने मोहल्ले और फिर पूरे गांव में जागरुकता लाएं। लोगों को नशा छुड़ाए, नशे की तरफ नहीं जाने दें और नशा के लिए कारक तत्वों पर भी नजर रखी जाए।
इनका कहना है
– जिले में नशा मुक्ति एवं जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत सीमा रक्षक तैयार किए जा रहे हैं, जो गांव-गांव में नशे के खिलाफ लोगों में जागरुकता लाएंगे और नशा बिक्री या तस्करी करने वालों आदि भी जानकारी देंगे। अभी करीब सौ ऐसे सीमा रक्षक जुड़े हैं और जल्द ही इनकी गांव-गांव में संख्या बढ़ेगी। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
– विकास शर्मा, पुलिस अधीक्षक श्रीगंगानगर