‘एग्जिस्ट’ नामक एक अणु है मुख्य वजह: गैर-लाभकारी ऑटोइम्यून एसोसिएशन के अनुसार ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित लोगों में 80 प्रतिशत महिलाएं हैं। पांच करोड़ से अधिक अमरीकी ल्यूपस, रुमेटॉइड आर्थराइटिस, मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसे दर्जनों अन्य रोगों से पीड़ित हैं। जर्नल सेल में प्रकाशित शोध में विशेषज्ञों ने नए सुबूत पेश किए हैं कि ‘एग्जिस्ट’ नामक अणु जो केवल महिलाओं में पाया जाता है, इन बीमारियों का प्रमुख दोषी है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अणु की बेहतर समझ से नए परीक्षण होंगे, जो ऑटोइम्यून रोगों का जल्द पता लगाकर लंबी अवधि में नए और अधिक प्रभावी उपचार को बढ़ाएंगे।
प्रोटीन के अति उत्पादन को रोकने में भूमिका: महिलाओं में आमतौर पर दो ‘एक्स’ क्रोमोसोम होते हैं, जबकि पुरुषों में एक ‘एक्स’ और एक ‘वाई’। क्रोमोसोम आनुवांशिक सामग्री के सख्त बंडल होते हैं जिनमें प्रोटीन बनाने के निर्देश होते हैं। ‘एग्जिस्ट’ अणु महिलाओं में एक्स गुणसूत्रों में से एक को निष्क्रिय कर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और प्रोटीन के विनाशकारी अति उत्पादन को रोकता है। हालांकि शोध टीम ने यह भी पाया कि इस प्रक्रिया में ‘एग्जिस्ट’ कई ऑटोइम्यून बीमारियों से जुड़े अजीब मॉलिक्यूलर कॉम्प्लेक्सेस को भी उत्पन्न करता है।
चूहों और इंसानों पर किया गया अध्ययन: वैज्ञानिकों ने अपना अधिकांश काम चूहों पर किया, लेकिन उन्होंने इंसानों को भी शामिल करते हुए दिलचस्प खोज की। हालांकि ‘एग्जिस्ट’ अणु द्वारा निभाई गई भूमिका की खोज यह नहीं बताती है कि पुरुषों को ये बीमारियां कैसे होती हैं या टाइप-1 डायबिटीज जैसे कुछ ऑटोइम्यून रोग पुरुषों में अधिक क्यों होते हैं। इस तरह यह खोज एक बड़ी पहेली के छोटे हिस्से को सरल बनाती है। पूर्व में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन में पाया गया था कि लगभग 10 फीसदी वैश्विक आबादी को ऑटोइम्यून बीमारियां प्रभावित करती हैं। इनमें भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या अधिक होती है।
विश्व में ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज का बढ़ता खर्च