जानकारी के अनुसार हेमचंद मांझी ने छोटेडोंगर में ऐसे समय में लोगों का जड़ी बूटियों से इलाज करने का निर्णय लिया जब यहां स्वास्थ्य सुविधाएं बिल्कुल नहीं थी। परिवार में किसी के वैद्य के पेशे में नहीं होने के बावजूद उन्होंने सेवाभाव के चलते यह निर्णय लिया। उनके अनुभव के चलते उनका ज्ञान बढ़ता गया और नारायणपुर जिले के अलावा प्रदेश एवं देश विदेश से मरीज भी उनके पास ईलाज कराने के लिए आते हैं।
अंतिम सांस तक लोगों की सेवा करुंगा
मांझी कहते हैं कि बस्तर की वनौषधियों में जादू है। हम जंगल से अलग-अलग तरह की जड़ी-बूटी इकट्ठी करते हैं।इन्हें उचित अनुपात में मिलाते हैं और अलग-अलग तरह की बीमारियों का इस तरह से उपचार करते हैं। नाड़ी देखकर मर्ज का पता लगाते हैं और इसके मुताबिक इलाज करते हैं। कई बार जब एलोपैथी से लोग कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के संबंध में हतोत्साहित हो जाते हैं तब वे यहां आते हैं और ईश्वर की अनुकंपा से हमारी औषधियों के कमाल से वो ठीक हो जाते हैं। हेमचंद के पास हर दिन सौ से अधिक मरीज पहुँचते हैं। उन्होंने बताया कि वनौषधियों में उपयुक्त मात्रा में शहद, लौंग एवं अन्य मसाले डालने होते हैं। वे कहते हैं कि जब तक साँसों में साँस हैं तब तक यह सेवा का काम करता रहूँगा। वे आने वाली पीढ़ी को भी इसकी शिक्षा दे रहे हैं। पद्मश्री से समानित होने पर कलेक्टर बिपिन मांझी ने वैद्यराज हेमचंद मांझी को शुभकामनाएं एवं बधाई दी है। कलेक्टर श्री मांझी ने कहा कि यह समान जिले को गौरवांवित किया है।