14वें बच्चे को जन्म देते हुए आज ही के दिन हुई मुमताज की मौत
भारत के शिल्प अलंकार का जीवंत प्रतीक ताजमहल मुगल बादशाह शाहजहां की बेगम मुमताज
महल की…
भारत के शिल्प अलंकार का जीवंत प्रतीक ताजमहल मुगल बादशाह शाहजहां की बेगम मुमताज महल की याद में बनाया गया था। एक सितम्बर 1593 को आगरा में एक मुगल दरबारी के घर जन्मी मुमताज महल का असली नाम अर्जमानंद बानो बेगम था।
बानो बेगम और मुगल बादशाह शाहजहां का प्यार एक किशोर उम्र का प्यार था जो 1612 में शादी में बदल गया। शादी के बाद बेगम ने मुगल बादशाह के सच्चे सलाहकार, वफादार की भूमिका निभाई जिससे प्रेरित होकर बादशाह ने उसे मुमताज महल नाम दिया।
हालांकि शाहजहां के और भी बेगमें थी परन्तु उसने मुमताज को सर्वाधिक प्रिय मानते हुए उसे हर संभव कोशिश की। मुगल सल्तनत की दूसरी सबसे बड़ी हैसियत रखने वाली मुमताज महल ने आज ही के दिन 17 जून 1631 को बुरहामपुर में अपने 14वें बच्चे को जन्म देते हुए दम तोड़ दिया। अपनी सबसे प्रिय बेगम की याद में शाहजहां ने आगरा में ताजमहल का निर्माण करवाया जिसे आज भी प्रेम और शिल्प का अद्भुत संगम माना जाता है।
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