औषधीय खेती को मिलेगा बढ़ावा, हर्रा पत्ती व कालमेघ की खेती बनेगी किसानों की आय का जरिया
कृषक उत्पादक संगठन करेगा 1 टन हर्रा पत्ती की खरीदी
शहडोल. औषधीय उपयोग में आने वाले वनोपज हर्रा के साथ अब इसकी पत्तियां भी आदिवासी परिवारों के लिए आय का जरिया बनेंगी। अब तक हर्रा के फलों का ही कलेक्शन होता था, पहली बार जिले में इसकी पत्तियांं भी खरीदी जा रही हंै। पत्ती खरीदी करने का काम प्रारंभ भी कर दिया गया है। इन पत्तियों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाएगा। साथ ही किसानों को कालमेघ की खेती के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। यह प्रयास जिले में औषधीय खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जा रहा है। जानकारों की माने तो कालमेघ की पत्तियों के साथ इसका फल भी कई रोगों के उपचार में कारगर है। इसके औषधीय गुणों को देखते हुए इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। कृषक उत्पादक संगठन के प्रदीप सिंह ने बताया कि नित्या नेचुरल डिबेट सोशल फाउंडेशन की मदद से हर्रा पत्ती खरीदी के साथ ही कालमेघ की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
सुखाकर किसानों से की जा रही खरीदी
जिले के ब्यौहारी जनपद पंचायत अंतर्गत सूखा के किसानों से हर्रा पत्ती खरीदी भी प्रारंभ कर दी गई है। किसान व ग्रामीण जंगल से हर्रा पत्ती कलेक्शन कर रहे हैं। इसकी फाउंडेशन द्वारा खरीदी की जा रही है, इसके एवज में संग्राहकों को उचित दाम भी दिया जा रहा है। इस वर्ष लगभग 1 टन हर्रा पत्ती खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। यह प्रयोग सफल रहा तो आने वाले समय में इसकी तादाद और बढ़ा दी जाएगी।
50 एकड़ में खेती का देंगे प्रशिक्षण
किसानों को औषधीय खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले में खरीफ के सीजन में 50 एकड़ में कालमेघ की खेती का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। कालमेघ की खेती करने वाले किसानों से नित्या नेचुरल डिबेट सोशल फाउंडेशन पत्ती व फलों की खरीदी करेगा। इससे औषधीय खेती को बढ़ावा मिलेगा साथ ही किसानों की आय का जरिया भी बढ़ेगा।
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