उन्होंने ब्रिटेन की वेबस्टर यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री ली है। पिछले दिनों एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि जब मैं पढ़ाई कर रही थी, तब मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी कि हमारा व्यवसाय क्या है। मैंने पहले से अपने पारिवारिक व्यवसाय में आने के बारे में नहीं सोचा था। ग्रेजुएशन करने के बाद मैं यहां इसलिए आई, क्योंकि मुझे लगा कि यह मेरे रिज्यूमे में अच्छा लगेगा। तब मेरी योजना निजी इक्विटी फर्म या मैनेजमेंट कंसल्टेंसी में शामिल होने से पहले एमबीए करने की थी।
कंपनी का बढ़ाया राजस्व
महिमा डाटला की इस कंपनी में बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने बीस वर्षों की अवधि में वैक्सीन से जुड़ी अपनी कंपनी के राजस्व को 10 फीसदी से 80 फीसदी तक बढ़ाने में योगदान दिया है और अब यह उन अग्रणी कंपनियों में है, जो वैश्विक बाजार को कई जीवनरक्षक दवाएं और टीके उपलब्ध कराती है। यह कंपनी 1948 में महिमा के दादा जीएएन राजू व डीवीके राजू ने शुरू की थी। तब यह रक्त के थक्के बनने से रोकने वाली दवा हिपेरिन बनाया करती थी।