ब्रह्माकुमारी के देशी तकनीक से निर्मित सोलर पावर थर्मल प्लांट से लोगों को सीख लेना चाहिए कि कैसे हम अपनी जरूरत की बिजली का स्वयं उत्पादन कर सकते हैं। ऐसे संयंत्रों के माॅडल को देश के सामने पेश कर लोगों को सौर ऊर्जा के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा सकता है। इसके बाद ब्रह्माकुमारीज़ के आधुनिक सुविधाओं से लैस भोजनालय में पहुंचे, जहां भोजन बनने की प्रक्रिया को जाना। यहां पर दो घंटे में 40 हजार लोगों का भोजन तैयार किया जा सकता है।
यौगिक खेती वर्तमान की जरूरत इसके बाद राज्यपाल काफिले के साथ संस्थान के तपोवन पहुंचे। जहां यौगिक खेती के माॅडल को समझा। साथ ही तपोवन में दुबई के खजूर से लेकर अंगूर, ड्रेगन फ्रूट आदि के बारे में जाना। यौगिक खेती पद्धति का विकास सबसे पहले तपोवन में प्रयोग करके ही किया गया था। यहां से प्रशिक्षण लेकर आज देशभर में हजारों किसान यौगिक-जैविक खेती कर रहे हैं। यौगिक खेती पद्धति के बारे में जानकर राज्यपाल आचार्य ने कहा कि यदि हमें रासायनिक उत्पादों के प्रभाव से बचना है तो किसानों को कुछ जमीन पर यौगिक खेती करनी चाहिए। जैविक-यौगिक खेती वर्तमान की जरूरत है।
शांतिवन भ्रमण के दौरान मेडिटेशन रूम में राज्यपाल ने पत्नी दर्शना देवी के साथ ध्यान लगाया। इसके बाद दादी गुलजार के स्मृति स्तंभ पर पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। रविवार दोपहर माउंट आबू सड़क मार्ग से गुजरात राज्यपाल का काफिला मानपुर हवाई पट्टी पहुंचा। इस दौरान शहर थानाधिकारी बलभद्रसिंह व सदर थानाधिकारी प्रवीण आचार्य, शहर यातायात प्रभारी मुस्ताक कुरैशी के नेतृत्व में तलहटी से मानपुर हवाई पट्टी तक जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात रहे। पुलिस प्रशासन ने राज्यपाल के काफिले के गुजरने तक यातायात व्यवस्था को सम्भाला। दोपहर करीब दो बजे मानपुर हवाई पट्टी से राज्यपाल विशेष विमान से गुजरात के लिए रवाना हुए।