प्रकरण में पुलिस अधीक्षक जीआरपी (उत्तर) जोधपुर अभिजीत सिंह के आदेशानुसार एंव वृत्ताधिकारी जीआरपी वृत्त जोधपुर संदीप सिंह के सुपरविजन में जीआरपी आबूरोड थानाधिकारी मनोज कुमार चौहान के नेतृत्व में गठित टीम ने पिंडवाड़ा के प्लेटफार्म पर लावारिस मिले बालक की घटना का खुलासा कर उसके परिजनों की पहचान करने में कामयाबी प्राप्त की।
पूछताछ में टूट गया पिता
सिरोही पुलिस के अनुसार पूछताछ बच्चे का पिता ईश्वर भाई टूट गया। उसने बताया की वह ऑटोरिक्शा चलाता है। जिससे प्रतिमाह 16-17 हजार कमाता है। प्रति माह 18 हजार रुपए ऋण की किश्त देनी पड़ती है। दो हजार रुपए मकान किराए के देने पड़ते हैं।
प्रतिमाह करीब 32 हजार का खर्चा आता है। आमदनी कम होने से परेशान रहने लगा। पत्नी बीमार रहती है। सोचा हम दोनों मर जाते हैं। ईश्वर ने बताया की वह टीवी पर क्राइम पट्रोल सीरियल देखता है, जिस पर एक एपिसोड में राधिका नाम से पत्र लिखकर पुलिस को गुमराह किया जाता है।
उसने भी उसी की नकल कर ऐसा किया। बच्चे को अनाथालय से कोई ले लेगा। हमारी मौत के बाद मेरे बच्चों को दुर्घटना बीमा के 18 से 20 लाख रुपए मिल जाएंगे। हिन्दी भाषा के लिए गूगल ट्रांसलेट का उपयोग कर गुजराती भाषा से हिन्दी में ट्रांसलेट पत्र लिखकर पत्नी को बैगर बताए बच्चे के पहने कपड़ों के पास रख दिया। उसका व पत्नी का पालनपुर में आत्महत्या का इरादा था। वह अंबाजी के दर्शन के बाद आत्महत्या करने वाला था। लेकिन, बच्चे की याद आने से वह पिंडवाड़ा लौट आया। पुलिस ने पति-पत्नी व परिजनों को जमानत पर रिहा कर दिया।
पिता ढूंढ रहा था पुत्र को
जांच के दौरान पता लगा कि एक व्यक्ति स्टेशन पर बच्चे के बारे में पूछ रहा है। थाने लाकर उससे पूछताछ की तो उसने अपना नाम ईश्वर भाई पुत्र अमृत भाई पटनी, निवासी बॉम्बे हाउसिंग, सरसपुर अहमदाबाद गुजरात हाल ई कॉलोनी, बापूनगर, अहमदाबाद शहर होना बताया। फोटो दिखाने पर ईश्वर भाई ने बालक को अपना पुत्र होना बताया। उसने बताया कि उसकी पत्नी सुनीता बेन द्वारा भूलवश बच्चे को छोड़ देना व पत्नी को मानसिक रूप से बीमार होना बताया। परिजनों ने इलाज की पर्चियां भी पेश की। बताया कि शादी को दो साल हो गए है। महिला व उसके पति ने बच्चे के पास मिले पत्र के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की। इस तरह से पति पुलिस को गुमराह करता रहा।