जानकारी के अनुसार सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए जब लगभग 2008 में काम शुरू हुआ था, तब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। क्षेत्रीय नागरिकों के विरोध को रोकने के लिए पुलिस बल की आवश्यकता महसूस की गई। कारण, वैढऩ थाने से प्रोजेक्ट की दूरी ज्यादा थी। ऐसे में तय हुआ कि प्रोजेक्ट के लिए पुलिस चौकी खोली जाय। इस पर सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के अधिकारी भी सहमत हो गए। सूत्रों के अनुसार इस चौकी में एक उपनिरीक्षक के साथ तीन सहायक उपनिरीक्षक, छह प्रधान आरक्षक और 25 आरक्षकों का बल स्वीकृत हुआ था। चौकी के लिए भवन और भवन परिसर में ही पुलिस बल के रहने के लिए आवास व्यवस्था के इंतजाम पर भी सहमति बनी थी।
जानकारी के अनुसार सासन पावर प्लांट का काम शुरू होने के दौरान पुलिस ने सासन में थाना औद्योगिक नगर खोले जाने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, थाने के भारी भरकम बजट को देखते हुए सासन पावर के साथ ही अनिल अंबानी की कंपनी ने भी हाथ खड़े कर दिए, तब जाकर समझौता हुआ कि यहां पर सासन पुलिस चौकी स्थापित की जाए जो वैढऩ पुलिस थाने के अधीन काम करेगी।
जानकारों के अनुसार सासन पावर ने प्लांट का काम पूरा होते ही पुलिस को वेतन की राशि जमा कराने से मना कर दिया। हालांकि इस बीच कंपनी ने पुलिस चौकी के लिए भवन और पुलिस बल के क्वार्टर्स बना कर दिए। लेकिन पुलिस ने जब भी वेतन के पैसे मांगने की कोशिश की तो अधिकारियों ने मौखिक तौर पर पुलिस को ही आड़े हाथ लिया।
अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप वाले रिलायंस के अधिकारियों की मानें तो पुलिस का पैसा न देने पर दो बार फाइनल तैयारी हो गई थी लेकिन ऐन वक्त पर सरकारें बदल गईं। पहले शिवराज सरकार को मनाया गया था तब सरकार वेतन मद की राशि छोडऩे तैयार हो गई थी। लेकिन, उसी बीच चुनाव की घोषणा हो गई और कांग्रेस सत्ता में आ गई। ऐसे में कमलनाथ सरकार को भी मनाया गया लेकिन इसी बीच उनकी सरकार भी गिर गई। अब हम सभी पुन: जोर लगा रहे हैं। उम्मीद है कि उपचुनावों के बाद मामला सुलझा लिया जाएगा।
कोट “सासन पावर से सासन पुलिस चौकी के लिए स्वीकृत बल का वेतन नहीं जमा कराया जा रहा। इस संबंध में लिखापढ़ी चल रही है, मगर कोई हल सामने नहीं आ रहा।”- अरूण पांडेय, थाना प्रभारी वैढऩ
“पुलिस बल को वेतन देने की बात प्लांट निर्माण करने की अवधि के दौरान हुई थी। लाइफ लांग देने का सवाल ही नहीं उठता। चौकी भवन, पुलिस बल के क्वार्टर्स सहित एसी व अन्य सामान जो उपलब्ध कराए गए हैं, उसकी राशि छोडऩे तैयार हैं। भोपाल में हमारी सरकार से बात चल रही है, जल्द ही इस मामले को क्लोज कराया जाएगा।”– राजीव मिश्रा, प्रवक्ता रिलायंस, भोपाल