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सिंगरौली

ओपीडी से बच्चों के डॉक्टर गायब, चिलचिलाती धूप में वापस लौटे मरीज, जानिए क्या है पूरा मामला

अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से चिकित्सक बने बेपरवाह….

सिंगरौलीMay 28, 2019 / 09:45 pm

Amit Pandey

Doctor of children from OPD in Singrauli district hospital disappeared

Doctor of children from OPD in Singrauli district hospital disappeared

सिंगरौली. यदि जिला अस्पताल में इलाज कराने जा रहे हैं तो पहले यह पता कर लें कि डाक्टर हैं या नहीं। क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि अस्पताल में डॉक्टर मिल ही जाएं। जिला अस्पताल में डॉक्टर की मनमानी का आलम कुछ ऐसा ही है।मनमानी के चलते ही मंगलवार को चिलचिलाती धूप में दूर-दराज के गांवों से जिला अस्पताल पहुंचे मरीजों को बिना उपचार ही वापस लौटना पड़ा है। ओपीडी में बच्चों के डाक्टर नहीं होने के कारण सामान्य डाक्टरों ने यह कहकर उन्हें चलता कर दिया कि बच्चों के डाक्टर को दिखाना बेहतर रहेगा।
जिला अस्पताल में ओपीडी का समय भले ही सुबह आठ बजे से एक बजे तक हो लेकिन सुबह 1०.३० बजे ही ओपीडी में बच्चों के डॉक्टर नदारद रहे। सामान्य ओपीडी हो या इमरजेंसी सभी जगह डॉक्टरों की गैरहाजिरी के चलते मरीज परेशान होते रहे। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का आलम यह है कि डॉक्टरों को ओपीडी के समय मौजूद रहने के निर्देश नहीं दिए जाते हैं। जिसका नतीजा यह है कि एक दिन नहीं बल्कि हर रोज ओपीडी में मरीजों की परेशानी देखने को मिल जाएगी।
ओपीडी में 12 बजे तक नहीं आते डॉक्टर
जिला अस्पताल की ओपीडी में भी सुबह 11.57 बजे तक कोई नहीं मिला। पहले डॉक्टर और फिर बाद में दवाई के लिए भी मरीज परेशान होते रहे। डाक्टरों के नहीं आने से व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही है। जरहां के मंदीप ने बताया कि वे काफी देर से बच्चे को दिखाने के लिए डाक्टर का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन इलाज के लिए कोई डाक्टर मौजूद नहीं हैं। आखिर उसे बिना उपचार कराए चिलचिलाती धूप में मासूम बच्ची को लेकर घर वापस लौटना पड़ा है।
बेबसी का खमियाजा भुगत रहे मरीज
डॉक्टर ओपीडी से गायब रहते हैं और न ही वह वार्डों में समय पर राउंड लगाते हैं। मंगलवार को जिला अस्पताल में ओपीडी में कुल 165 मरीज आए। वहीं 12 मरीजों को भर्ती किया गया। मरीजों की संख्या के हिसाब से अस्पताल प्रबंधन के पास न तो पर्याप्त स्टॉफ है और न ही व्यवस्थाएं। आलम यह है कि जिला अस्पताल में प्रबंधन की बेबसी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। इसके बाद भी जिम्मेदार गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।
निरीक्षण करना भूल गईं नोडल
एक समय था जब हर तीसरे दिन जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लेने नोडल पहुंचती थी। इधर कई महीने से जिला अस्पताल का निरीक्षण नहीं होने का नतीजा यह है कि अस्पताल प्रबंधन की ढुलमुल रवैया का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। इसी तरह जिला अस्पताल को जिम्मेदार नजरअंदाज करते रहे तो मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं सिर्फ कागजों में रह जाएंगी। जिला अस्पताल की नोडल को अब हकीकत का जायजा लेना चाहिए।

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