अधिकारियों को निर्देशित करने के बाद कलेक्टर जैसे की कार्यक्रम से वापस लौटे। अधिकारी भी धीरे-धीरे कर वहां से चलते बने। आलम यह रहा कि समस्याओं के निराकरण की उम्मीद में पहुंचे ग्रामीणों को निराश होकर बैरंग वापस लौटना पड़ा। समस्या से संबंधित आवेदन लेने से लेकर दवाओं के वितरण तक में महज खानापूर्ति की गई।
इधर अधिकारियों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के निधन के मद्देनजर दोपहर बाद अवकाश करने का निर्देश रहा है। इसलिए शिविर के आयोजन में भी जल्दबाजी की गई। चूंकि फरियादियों को शिविर के आयोजन की पहले से ही सूचना दे दी गई थी, इसलिए शिविर को स्थगित नहीं किया गया। फिलहाल जो भी हो बुधवार का कार्यक्रम ग्रामीणों को निराश कर देने वाला रहा है।