मयंक साहू @ उज्जैन। महाकाल की नगरी में अगले महीने आयोजित होने वाले सिंहस्थ में इस बार सादगी के साथ शाही लुत्फ भी देखने को मिलेगा। संतो भक्तों के लिए तैयार हो रहे पंडाल को जहां पुरातनकाल के आश्रमों की शैली देखने मिलेगी। वहीं हाईटेक व सर्वसुविधा युक्त पंडालों का भी संत, महंत व श्रद्धालु आनंद ले सकेंगे। ये पंडाल घास, बांस व टाट आदि से तैयार किए जा रहे हैं, साथ ही इनमें फाईव स्टार होटलों जैसी व्यवस्थाएं भी इनमें जुटाई जा रही हैं। इस तरह के पंडाल दत्त अखाड़ा, भूखी माता, बैरनगर सहित अधिकतर जगहों पर बन रहे हैं।
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एक से दो लाख तक खर्च
महज दो महीने के लिए सिंहस्थ मेला रहेगा, लेकिन अखाड़ों व संतों महंतों के पंडाल व कॉटेजों को ऐसे बनाया जा रहा है, जैसे वे सदा के लिए यहां रहने वाले हैं। इन कॉटेज के निर्माण में एक से दो लाख रुपए तक खर्च किए जा रहे हैं। केवल दत्त अखाड़ा क्षेत्र की बात करें तो यहां 175 एसी कॉटेज बनाए जा रहे हैं। साथ ही 200 से ज्यादा घांस, बांस से बने कॉटेज लोगों के लिए उपलब्ध रहेंगे।
नाम भी महाराजा, स्टाईल भी आलीशान
सिंहस्थ क्षेत्र में बन रहे कॉटेजों के नाम भी उनकी शान के अनुसार रखे गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा खर्च व सुविधा वाला महाराजा कॉटेज है। इसमें लेट-बाथ से लेकर अत्याधुनिक बाथरूम की सुविधा होगा। साथ ही डायनिंग टेबल व अन्य भौतिक सुविधाएं मौजूद होंगी।
प्राकृतिक ठंडक भी मौजूद
सिंहस्थ क्षेत्र में बन रहे घास व बांस के कॉटेजों की विशेष डिमांड है। यहां 3000 से झोपड़ी, 1000 यज्ञ शालाओं की निर्माण कराया जा रहा है। इनका काम 15 मार्च तक पूरा हो जाएगा। इनकी खासियत होगी कि ये अधिक गर्मी में भी लोगों को ठंडक प्रदान करेंगी।
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गोबर की पुताई, मिट्टी का लेपन
घास, बांस से बनने वाली झोपडिय़ों में प्राकृतिक तरीके से ठंडक बनाए रखने के लिए इन पर गोबरकी पुताई और मिट्टी का लेपन किया जा रहा है। साथ ही जमीन पर भी गोबर मिट्टी से सुंदर फर्श बन रहा है।
गार्डन होगा जनाकर्षण का केन्द्र
यह पहली बार है जब सिंहस्थ में संतो दारा अपने अपने अखाड़ों, पंडालों मे गार्डन बनवाए जा रहे हैं। दत्त अखाड़ा में संत विजय मेहता दारा भव्य गार्डन बनवाया जा रहा है। वहीं बैरनगर में स्वामी अवधेशानंद दारा विभिन्न प्रजाति के फूल-पत्तियों का गार्डन तैयार किया जा रहा है। इन्हीं सब सुविधाओं को देखते हुए अखाड़ों की प्रबंधन समितियों द्वारा रुकने के लिए अच्छी खासी रकम भी ली जा रही है। अधिकतर कॉटेज, झोपडिय़ां अभी से बुक हो चुके हैं।
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