आठ वर्ष पहले हुई थी बघेरे की पुष्टि
जिले का 80 फीसदी वन क्षेत्र नीमकाथाना इलाके में है। जहां वर्ष 2009 में बघेरे का कुनबा होने की पुष्टि हो चुकी है। इसके बाद भी कर्मचारियों नाइट विजन कैमरे व पगमार्क उठाने का दावा किया लेकिन कर्मचारियों को पगमार्क उठाने, पदचिन्हों के आधार पर बघेरे व अन्य वन्य जीवों के वाटर प्वाइंट पर आने के रास्ते का अनुमान लगाने के लिए प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया। ऐसे में जिले में 24 घंटे के दौरान हुई वन्य जीव गणना सटीक आंकडे बयां नहीं कर रही है।
घटा है भेडिय़ों का कुनबा
सीकर के हर्ष, पाटन, नीमकाथाना में गीदड़, पाटन व सीकर में जरख, दांता, सीकर, पाटन, श्रीमाधोपुर में जंगली बिल्ली नजर आई है। लक्ष्मणगढ रेंज में मरू लोमड़ी व श्रीमाधोपुर के बालवाड़ क्षेत्र में भेडिय़ों का कुनबा घटा है। पिछली गणना में नजर आई मरू लोमडिय़ों के साथ इस बार शावक नजर नहीं आए हैं। इसके अलावा गणना के दौरान, चिंकारा, सांभर, भेडिया, सियार, गीदड, बिज्जू, लोमड़ी, सेही, मरू लोमड़ी,जरख, सेही, नीलगाय, खरगोश, पाटागोह, नेवले, लंगूर, बंदर सहित कई वन्य जीव मिले।
टार्च दिखी तो भाग गया बघेरा
वन्य जीव गणना के दौरान वनकर्मी रतिराम ने बताया कि सोमवार रात करीब पौने नौ बजे बधेरा अचानक सामने आ गया। बघेरे की फोटो लेने के लिए जैसे ही बैटरी की रोशनी उस पर डाली तो वह छलांग लगाकर भाग गया। मंगलवार सुबह बघेरे के पगमार्क जुटा लिए गए। इसके अलावा करीब सवा चार बजे जरख भी वाटर प्वॉईंट पर पानी पीने आया। वहीं पर पाटन रेंज के भागेश्वर में पैंथर की दहाड़ सुनाई दी। नीमकाथाना रेंज के 10 हेक्टेयर व भीतरली गांवडी के कुर्ला में पैंथर की दहाड़ सुनाई दी। 10 हेक्टेयर वाटर प्वॉईंट पर तैनात फोरेस्ट गार्ड लीलाधर ने बताया कि करीब 15 मिनट तक पैंथर चहलकदमी करता रहा। इसी प्रकार लादाला में गौशाला के पास भी देर रात दो पैंथर दिखाई दिये। इस दौरान पैंथर ने काफी देर तक दहाड़ भी लगाई,लेकिन पास से गुजर रही सडक़ पर वाहनों के शोरगुल के कारण वाटर प्वॉईंट से चला गया।
यह मिले हैं जीव 2018
बघेरा 4
सियार/गीदड 378
जरख 11
जंगली बिल्ली 83
मरू बिल्ली 21
लोमड़ी 57
मरू लोमडी 36
भेडिया 17
बिज्जू छोटा 38
सांभर 18
नील गाय 2119
चिंकारा 871
सेही 88
मोर 3390
बढ़े हैं जीव
वन्य जीव गणना पूरी हो गई है। गणना में लगे कर्मचारियों की सूची रेंज कार्यालय आ गई है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार वन्य जीवों की संख्या बढ़ी है। -राजेन्द्र हुड्डा, उपवन सरंक्षक सीकर