एसके अस्पताल की दूसरी तस्वीर ये भी, नर्सिंगकर्मियों ने पेश की ये मिसाल
सफाई व्यवस्था फेल हुई तो वार्ड इंचार्ज और आपरेशन थियेटर इंचार्ज सहित स्टॉफ मिलकर लगे सफाई में
एसके अस्पताल की दूसरी तस्वीर ये भी, नर्सिंगकर्मियों ने पेश की ये मिसाल
सीकर. जिले के सबसे बड़े एसके अस्पताल में सफाई व्यवस्था को लेकर फर्म के ठेकेदार और प्रबंधन के बीच तालमेल का अभाव मरीजों की मुसीबत बढ़ा रहा है। ठेकेदार की ओर से सफाई व्यवस्था नहीं करने पर नर्सिंग कर्मचारियों और स्टूडेंटस ने वार्डों सहित ऑपरेशन थियेटर की सफाई का बीड़ा उठाया है।
अस्पताल में पिछले दो दिन से अस्पताल में नर्सिंग कर्मचारी ड्यूटी के दौरान सफाई करवा रहे हैं। इधर ठेकेदार एमओयू के अनुसार वार्डों सहित परिसर की सफाई नहीं कर रहा है। सात दिन का नोटिस देने के बाद भी ठेकेदार ने न तो आदमी बढ़ाए हैं और न ही व्यवस्था में सुधार किया है। इस कारण लम्बे समय अस्पताल की सफाई व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है। मरीजों सहित परिजनों को काफी परेशानी हो रही है वहीं अस्पताल में मरीज भी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। जिसका असर अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या पर पड़ा है।
लम्बे समय से मनमर्जी से काम
सफाई व्यवस्था को लेकर पीएमओ डॉ. अशोक बिजारणिया ने तर्क दिया कि अस्पताल में लम्बे समय अव्यवस्था चल रही है। बरसों से एक ही फर्म ढर्रे पर ही मनमर्जी से सफाई करती रही। जिसका असर हुआ कि अस्पताल में सफाई व्यवस्था लचर रही। तरीके से सफाई व्यवस्था नहीं होने से मरीजों के साथ सभी लोगों को परेशानी हो रही है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के अधीन जिला अस्पताल में सफाई व्यवस्था सही नहीं होना बेहद गलत है। अब आने वाले दिनों में अस्पताल का निरीक्षण एमसीआई की टीम करेगी। एेसे में बेहद जरूरी है कि एमओयू के अनुसार सफाई व्यवस्था हो। एेसे में नर्सिंग कर्मचारियों ने सफाई व्यवस्था की बागडोर संभाली है। प्रत्येक वार्ड के सभी कर्मचारी ऑफिस टाइम के अलावा कर रहे हैं।
शुरू से अव्यवस्था का आलम
जिला अस्पताल में सफाई के लिए इंदौर की फर्म को १ नवम्बर २०१८ में एमओयू के बाद टेंडर दिया गया था। टेंडर की शुरूआत से व्यवस्था बेपटरी रही। दूसरे राज्य की फर्म के नाम टेंडर खुलते ही पूर्व में लगे सफाई कर्मचारियों ने विरोध कर दिया। इसके अलावा जिले का बड़ा अस्पताल होने के कारण कर्मचारियों की संख्या सफाई के लिए कर्मचारियों की संख्या कम रही। इस कारण अस्पताल में सफाई व्यवस्था बेपटरी रही। इसके अलावा सफाई ठेकेदार ने नाममात्र के कर्मचारियों को काम पर ले रखा है। जबकि अस्पताल की सफाई करने के लिए कम से कम ४० सफाई कर्मचारियों की जरूरत है।
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