अब आगे क्या
अभी सर्वे का कार्य चल रहा है। सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद दोहरीकरण की मंजूरी मिलेगी। इसके बाद डीपीआर बनाई जाएगी। बजट मिलने के बाद दोहरीकरण का कार्य शुरू हो जाएगा। नए ट्रेक पर ट्रेन चलाकर इसका परीक्षण किया जाएगा। स्पीड तय की जाएगी। सीएसआर की हरी झंडी मिलने के बाद इस ट्रेक पर ट्रेन चलने लगेगी।फायदा: नहीं लगेगा ज्यादा समय
रेल लाइनों के दोहरीकरण कार्य में समय ज्यादा नहीं लगेगा। नई लाइन में सबसे बड़ी समस्या भूमि अधिग्रहण की आती है, लेकिन दोहरीकरण में भूमि अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। क्योंकि रेलवे के पास पहले ही इतनी जगह होती है कि पटरियों के बराबर दूसरी पटरियां आसानी से डालने की जगह होती है। वहीं रींगस से जयपुर के बीच का सर्वे का कार्य पहले हो चुका है।दोहरीकरण के यह फायदे होंगे
- * लाइन की क्षमता बढ़ेगी, ज्यादा ट्रेनों का संचालन किया जाएगा।
- * ट्रेनों की गति बढ़ेगी, अभी दो रेल आमने-सामने आने पर स्टेशन पर क्रोसिंग करवाया जाता है, इसमें दस से बीस मिनट तक रेल को रोका जाता है।
- * रेल परिवहन की क्षमता बढ़ेगी, जिससे सभी लोगों को फ़ायदा होगा।
- * माल का परिवहन सस्ता होगा, मालगाडियां समय पर पहुंचेंगी।
- * ईंधन की बचत होगी और परिवहन की लागत कम होगी।
- * आस-पास के क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
इनका कहना है
लाइनों के दोहरीकरण के सर्वे का कार्य शुरू हो चुका है। यह लम्बाई करीब 172 किलोमीटर की होगी। रेल लाइन दोहरीकरण से यात्रियों के साथ रेलवे को भी फायदा होगा.कैप्टन शशि किरण, सीपीआरओ, रेलवे